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2026 तक साइक्लिकल सेक्टरों का राज? वरुण गोयल की भविष्यवाणी में छिपी वो सच्चाई जो कोई नहीं बता रहा!

By Arjun Mehta • December 12, 2025

बाजार का चक्र: क्या हम सच में एक नए युग की दहलीज पर हैं?

अर्थव्यवस्था की दुनिया में, कुछ आवाजें ऐसी होती हैं जिन्हें अनदेखा नहीं किया जा सकता। वरुण गोयल की यह भविष्यवाणी कि 2026 तक **साइक्लिकल सेक्टर** (Cyclical Sectors) भारतीय बाजारों का नेतृत्व करेंगे, केवल एक पूर्वानुमान नहीं है; यह मौजूदा वैश्विक अस्थिरता पर एक गहरी टिप्पणी है। लेकिन सवाल यह है: क्या यह सिर्फ एक चक्रीय उछाल है, या यह एक मूलभूत आर्थिक बदलाव का संकेत है? अधिकांश विश्लेषक केवल 'तेजी' की बात कर रहे हैं, लेकिन असली कहानी कहीं और छिपी है।

मांसपेशी बनाम दिमाग: साइक्लिकल सेक्टर क्यों लौट रहे हैं?

बाजार में दो तरह के स्टॉक होते हैं: डिफेंसिव (जो मंदी में भी चलते हैं) और साइक्लिकल (जो आर्थिक उछाल के साथ आसमान छूते हैं)। बैंकिंग, ऑटोमोबाइल, सीमेंट, और पूंजीगत सामान (Capital Goods) साइक्लिकल सेक्टर के प्रमुख स्तंभ हैं। वर्तमान में, इन क्षेत्रों में निवेश बढ़ने का मुख्य कारण यह नहीं है कि उपभोक्ता अचानक बहुत अमीर हो गए हैं। **अनदेखा सच** यह है कि सरकारें और वैश्विक संस्थाएं अब 'उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन' (PLI) योजनाओं और बुनियादी ढांचे पर भारी खर्च कर रही हैं। यह खर्च सीधे तौर पर इन साइक्लिकल कंपनियों को पंप कर रहा है। यह मांग-प्रेरित तेजी से ज़्यादा, आपूर्ति-पक्ष (Supply-side) का प्रोत्साहन है।

यह एक बड़ा बदलाव है। दशकों से, आईटी और फार्मा जैसे 'रक्षात्मक' या 'विकास' (Growth) स्टॉक बाजार के राजा थे। अब, भौतिक अर्थव्यवस्था (Physical Economy) अपनी पुरानी महिमा वापस पा रही है। यह दिखाता है कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं (Global Supply Chains) अब कितनी नाजुक हो गई हैं, और देश 'आत्मनिर्भरता' के नाम पर भारी निवेश कर रहे हैं। इसे समझने के लिए आपको चीन और अमेरिका के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव को देखना होगा। यह सिर्फ व्यापार युद्ध नहीं है; यह उत्पादन का पुनर्गठन है।

विपरीत दृष्टिकोण: कौन हारेगा जब साइक्लिकल्स जीतेंगे?

यदि वरुण गोयल सही हैं, तो कुछ क्षेत्र बुरी तरह पिछड़ जाएंगे। अत्यधिक मूल्यांकन वाले (Overvalued) और उपभोक्ता खर्च पर अत्यधिक निर्भर 'डिस्क्रिशनरी' स्टॉक खतरे में हैं। जब ब्याज दरें ऊंची बनी रहती हैं (जो कि मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक है), तो महंगी उपभोक्ता वस्तुओं की मांग धीमी हो जाती है। इसके अलावा, जो आईटी कंपनियां अपनी आय के लिए पश्चिमी बाजारों पर अत्यधिक निर्भर हैं, वे भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण दबाव में आएंगी।

विश्लेषण का सार: यह रैली स्थायी उपभोग (Sustainable Consumption) पर आधारित नहीं है; यह सरकारी नीतियों और वैश्विक पुनर्निर्माण पर आधारित है। इसलिए, 2026 तक की यह तेजी 'मजबूत' हो सकती है, लेकिन यह उतनी 'चौड़ी' नहीं होगी जितनी पिछली तेजी थी। केवल वे कंपनियां जीतेंगी जो सरकारी योजनाओं का लाभ उठा सकती हैं या जिनकी लागत नियंत्रण (Cost Control) की क्षमता असाधारण है। यह एक ऐसा बाजार है जहाँ 'कार्यक्षमता' (Efficiency) 'कल्पना' (Imagination) से ज़्यादा महत्वपूर्ण है।

आगे क्या? 2026 के बाद का परिदृश्य

मेरा बोल्ड पूर्वानुमान यह है: 2026 तक साइक्लिकल सेक्टरों में जबरदस्त उछाल आएगा, लेकिन यह उछाल तेजी से खत्म होगा। जैसे ही बुनियादी ढांचे का खर्च चरम पर पहुंचेगा और ब्याज दरें अपने अपेक्षित स्तर पर स्थिर होंगी, बाजार फिर से 'गुणवत्ता' (Quality) और 'स्थायी विकास' (Sustainable Growth) की ओर मुड़ जाएगा। 2027 के बाद, हम आईटी और ग्रीन एनर्जी जैसे क्षेत्रों में एक नई, अधिक समझदार रैली देखेंगे, जो वास्तविक उपभोग वृद्धि पर आधारित होगी। वर्तमान निवेश एक 'पुल' है, मंजिल नहीं। जो निवेशक इसे स्थायी प्रवृत्ति मानकर अति-उत्साहित होंगे, वे बाद में बड़े नुकसान उठा सकते हैं।

निवेशकों को यह समझना होगा कि यह 'पैसा कहाँ जा रहा है' का खेल नहीं है, बल्कि 'सरकारें कहाँ पैसा लगा रही हैं' का खेल है। अधिक जानकारी के लिए, आप वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं के पुनर्गठन पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) की रिपोर्ट देख सकते हैं।

यह बाजार की चाल है, और इसे केवल आंकड़ों से नहीं, बल्कि शक्ति समीकरणों से समझा जा सकता है।