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ESTA का सोशल मीडिया ड्रामा: अमेरिका की निगरानी का नया हथियार, या सिर्फ कागजी बाघ?

By Aadhya Singh • December 19, 2025

ESTA का सोशल मीडिया ड्रामा: अमेरिका की निगरानी का नया हथियार, या सिर्फ कागजी बाघ?

क्या अमेरिकी सरकार आपकी अगली छुट्टी की योजना को वीज़ा देने से पहले ही खारिज करने की तैयारी कर रही है? यह सवाल आजकल **ESTA (Electronic System for Travel Authorization)** के प्रस्तावित सोशल मीडिया जांच नियमों के इर्द-गिर्द घूम रहा है। खबर यह है कि कुछ चिंतित करने वाली रिपोर्टें आई हैं, लेकिन असली कहानी कहीं गहरी है। यह सिर्फ होटल उद्योग के लिए चिंता नहीं है; यह व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर एक नया डिजिटल हमला है।

माहौल: डेटा का नया तेल

हाल ही में, **ESTA** के माध्यम से अमेरिका आने वाले विदेशी यात्रियों के सोशल मीडिया हैंडल मांगने के प्रस्ताव पर चिंताएं जताई गई हैं। पर्यटक कहते हैं कि यह गोपनीयता का उल्लंघन है। उद्योग जगत डरता है कि इससे यात्रा में देरी होगी। लेकिन हमें पूछना चाहिए: यह सब क्यों हो रहा है? इसका सीधा जवाब है: डेटा। आज, सोशल मीडिया प्रोफाइल किसी व्यक्ति के इरादों, राजनीतिक झुकावों और यहां तक कि वित्तीय स्थिरता का सबसे कच्चा और तात्कालिक प्रमाण हैं। सरकारें इसे अनदेखा नहीं कर सकतीं। यह सिर्फ सुरक्षा नहीं है; यह डिजिटल प्रोफाइलिंग का एक नया युग है।

अनकहा सच: कौन जीत रहा है?

बाहर से देखने पर लगता है कि यह आतंकवाद को रोकने का प्रयास है। लेकिन अंदरूनी खेल यह है कि यह नियम उन यात्रियों को फ़िल्टर करने का एक शक्तिशाली उपकरण बन सकता है जो 'वांछित' नहीं हैं—भले ही वे सुरक्षा जोखिम न हों। उदाहरण के लिए, यदि कोई यात्री लगातार अमेरिकी नीतियों की आलोचना करता है, तो क्या उसका आवेदन अस्वीकार कर दिया जाएगा? यह एक 'विचार अपराध' (Thought Crime) की ओर पहला कदम है, जिसे हमने पहले कभी इतने औपचारिक रूप से नहीं देखा। वीज़ा आवेदन प्रक्रिया (Visa Application Process) हमेशा व्यक्तिपरक रही है, लेकिन अब एल्गोरिदम और सार्वजनिक पोस्ट इसे और अधिक व्यक्तिपरक बना देंगे। विजेता वे बड़ी तकनीकी कंपनियाँ हैं जिनका डेटा सरकारें खरीद रही हैं, और हारने वाले हैं सामान्य पर्यटक और यात्री।

गहन विश्लेषण: स्वतंत्रता का सिकुड़ता दायरा

यह मुद्दा सिर्फ़ **ट्रैवल सिक्योरिटी** (Travel Security) तक सीमित नहीं है। यह अमेरिकी विदेश नीति और सॉफ्ट पावर पर प्रभाव डालता है। यदि दुनिया भर के लोग जानते हैं कि उनकी हर पोस्ट की जांच की जाएगी, तो वे अमेरिका आने से पहले ही खुद को सेंसर करना शुरू कर देंगे। इससे अमेरिकी पर्यटन और शैक्षणिक आदान-प्रदान पर नकारात्मक असर पड़ेगा। यह एक विडंबना है: अमेरिका जो दुनिया भर में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का प्रतीक होने का दावा करता है, वह अब अपने प्रवेश द्वार पर ही डिजिटल सेंसरशिप लागू कर रहा है। हमें यह समझना होगा कि अप्रवासन सुधार (Immigration Reform) अक्सर अप्रत्याशित तरीकों से लागू होते हैं।

भविष्य की भविष्यवाणी: क्या होगा आगे?

मेरा मानना है कि यह प्रस्ताव, जैसा कि अभी है, शायद लागू नहीं होगा। यह बहुत अधिक कानूनी और अंतर्राष्ट्रीय विवाद पैदा करेगा। इसके बजाय, हम एक मध्य मार्ग देखेंगे: सरकारें सोशल मीडिया डेटा की मांग को 'वैकल्पिक' (Optional) बनाएंगी, लेकिन आवेदकों को यह विश्वास दिलाया जाएगा कि इसे न देने पर उनके आवेदन में 'देरी' होगी या वे 'अतिरिक्त जांच' के दायरे में आ जाएंगे। यह एक सूक्ष्म दबाव होगा। लंबी अवधि में, यह नियम अन्य देशों को भी अपने यात्रियों के लिए समान, या इससे भी कठोर, डिजिटल स्क्रीनिंग लागू करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। **वैश्विक यात्रा नियम** (Global Travel Rules) हमेशा एक-दूसरे की नकल करते हैं।

पर्यटन उद्योग को अब अपनी मार्केटिंग रणनीति बदलनी होगी, शायद उन देशों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा जो डेटा गोपनीयता का सम्मान करते हैं।

उच्च-अधिकार वाले स्रोत: