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अमेरिका का विभाजन: किसे फायदा हो रहा है इस 'राजनीतिक युद्ध' से? अनदेखी सच्चाई!

By Aarohi Joshi • December 11, 2025

अमेरिका का विभाजन: किसे फायदा हो रहा है इस 'राजनीतिक युद्ध' से? अनदेखी सच्चाई!

राजनीतिक विभाजन (Political Division) आज अमेरिका की नस-नस में समा चुका है। हर खबर, हर बातचीत, हर सोशल मीडिया फीड एक ही शोर मचा रहा है: हम बँट गए हैं। लेकिन क्या यह विभाजन अचानक हुआ है? या यह किसी बड़ी शक्ति का परिणाम है? PBS जैसी मीडिया रिपोर्टें हमें दिखाती हैं कि लोग कैसे प्रभावित हो रहे हैं, पर वे यह नहीं बतातीं कि इस शोर से पर्दे के पीछे किसे सबसे ज़्यादा फायदा हो रहा है। यह सिर्फ दो पार्टियों की लड़ाई नहीं है; यह एक ऐसा आर्थिक और सूचनात्मक खेल है जिसमें आम नागरिक हार रहा है, जबकि विशिष्ट वर्ग जीत रहा है।

'पोलराइज़ेशन' का अनकहा एजेंडा: शोर ही असली उत्पाद है

हम जिस गहरे अमेरिकी राजनीतिक विभाजन (American Political Division) को देख रहे हैं, वह वास्तव में एक उत्पाद है। जब लोग एक-दूसरे से नफरत करते हैं या एक-दूसरे को दुश्मन मानते हैं, तो वे सूचना के लिए उन्हीं स्रोतों पर निर्भर रहते हैं जो उनकी भावनाओं को भड़काते हैं। यही वो जगह है जहाँ असली मुनाफा होता है। मीडिया आउटलेट्स, सोशल मीडिया एल्गोरिदम और डोनर क्लास, सभी इस विभाजन से लाभान्वित होते हैं। विभाजन जितना गहरा होगा, क्लिक्स उतने ज़्यादा होंगे, चंदा उतना ज़्यादा आएगा, और राजनीतिक वर्ग उतना ही अधिक धन जुटा पाएगा। यह एक शाश्वत लूप है। लोग 'रिपब्लिकन' या 'डेमोक्रेट' होने पर ज़्यादा ध्यान देते हैं, बजाय इसके कि वे अपनी आर्थिक स्थिति या बुनियादी नागरिक अधिकारों पर ध्यान दें।

असली हारने वाला व्यक्ति है 'मध्यम मार्ग'। इतिहास गवाह है कि जब भी समाज अत्यधिक ध्रुवीकृत होता है, तो वास्तविक सुधार रुक जाते हैं। आर्थिक नीतियां स्थिर हो जाती हैं या केवल चरम सीमाओं को संतुष्ट करती हैं। यह अमेरिकी राजनीति (US Politics) का सबसे बड़ा विरोधाभास है: विभाजन जितना अधिक होता है, नीतिगत बदलाव की संभावना उतनी ही कम हो जाती है, क्योंकि दोनों पक्ष केवल अपने आधार को शांत रखने में व्यस्त रहते हैं। आप इसे 'विभाजित करो और शासन करो' का आधुनिक, कॉर्पोरेट संस्करण मान सकते हैं।

गहराई में विश्लेषण: यह विभाजन क्यों टिकाऊ है

यह विभाजन इसलिए टिकाऊ है क्योंकि यह हमारे डिजिटल इकोसिस्टम में गहराई से समाया हुआ है। एल्गोरिदम हमें वही दिखाते हैं जो हम देखना चाहते हैं, जिससे हमारे पूर्वाग्रह मजबूत होते हैं। यह एक ऐसा इको-चैम्बर बनाता है जहाँ दूसरी तरफ की सच्चाई कभी पहुँच ही नहीं पाती। इसे समझने के लिए, हमें देखना होगा कि कैसे राजनीतिक फंडिंग संरचनाएं इस ध्रुवीकरण को बढ़ावा देती हैं। सुपर पीएसी (Super PACs) और डार्क मनी समूह उन उम्मीदवारों को पुरस्कृत करते हैं जो सबसे अधिक विवादास्पद बयान देते हैं, क्योंकि विवाद ध्यान खींचता है।

उदाहरण के लिए, आप देख सकते हैं कि कैसे अमेरिकी चुनावी वित्तपोषण (US Electoral Financing) की जटिलताएँ अक्सर नीतियों को दरकिनार कर देती हैं। रॉयटर्स जैसी विश्वसनीय स्रोतों पर नजर डालने पर पता चलता है कि चुनावी खर्च लगातार बढ़ रहा है, और यह खर्च अक्सर चरमपंथी विचारों को बढ़ावा देने में लगता है।

भविष्य की भविष्यवाणी: आगे क्या होगा?

'अब आगे क्या?' मेरा मानना है कि यह विभाजन कम नहीं होगा, बल्कि यह और अधिक सूक्ष्म हो जाएगा। भविष्य में, हम देखेंगे कि राजनीतिक पहचान व्यक्तिगत पहचान का प्राथमिक निर्धारक बन जाएगी। लोग अपनी नौकरी, पड़ोस या शौक से पहले खुद को 'लाल' या 'नीला' बताएंगे। सबसे बड़ी भविष्यवाणी यह है कि अगले दशक में, आर्थिक असमानता (Economic Inequality) चरम पर पहुँच जाएगी, लेकिन राजनीतिक विमर्श का 90% हिस्सा सांस्कृतिक युद्धों पर केंद्रित रहेगा। वास्तविक आर्थिक सुधार (जैसे बुनियादी ढांचे या स्वास्थ्य सेवा) तब तक असंभव रहेंगे जब तक कि जनता इस शोर से ऊबकर अपनी सामूहिक शक्ति का उपयोग नहीं करती। जनता को यह समझना होगा कि उनका असली दुश्मन उनका पड़ोसी नहीं, बल्कि वह संरचना है जो उन्हें लड़ने के लिए मजबूर कर रही है।

इस स्थिति को और समझने के लिए, आप ब्रितानिका पर ध्रुवीकरण (Polarization) की परिभाषा देख सकते हैं और समझ सकते हैं कि यह कितना पुराना मुद्दा है, भले ही आज इसका स्वरूप डिजिटल हो गया हो।