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अमेरिका का सबसे बड़ा झूठ: क्या फूड स्टैम्प पर काम की शर्त गरीबी मिटाएगी या गरीबी बढ़ाएगी? (विश्लेषण)

By Shaurya Bhatia • December 15, 2025

भूख का राजनीतिकरण: काम की शर्तों का भ्रम

अमेरिका में हर साल लाखों लोग फूड स्टैम्प (SNAP) कार्यक्रम पर निर्भर हैं, जो बुनियादी खाद्य सुरक्षा प्रदान करता है। लेकिन हालिया बहसें इस कार्यक्रम को काम की आवश्यकताओं से कसकर जोड़ने पर केंद्रित हैं। सतह पर, यह 'स्व-निर्भरता' का एक आकर्षक नारा लगता है। लेकिन एक खोजी पत्रकार के रूप में, मैं पूछता हूँ: क्या यह वास्तव में गरीबी से बाहर निकलने का रास्ता है, या यह सिर्फ एक राजनीतिक चाल है जो सबसे कमजोर लोगों को और हाशिए पर धकेलती है? सच्चाई यह है कि यह नीति **गरीबी** उन्मूलन की दिशा में एक भ्रामक कदम है।

काम की शर्त: किसे फायदा, किसे नुकसान?

जब आप फूड स्टैम्प को काम से जोड़ते हैं, तो आप एक बुनियादी आर्थिक विसंगति को नजरअंदाज कर रहे होते हैं: अमेरिका में 'काम करने वाले गरीब' (Working Poor) की विशाल संख्या। लाखों लोग पहले से ही पार्ट-टाइम, कम वेतन वाली या अस्थिर नौकरियां कर रहे हैं। उन्हें अतिरिक्त घंटों के लिए काम करने के लिए मजबूर करने से उनकी खाद्य सुरक्षा खत्म हो सकती है, न कि वे अमीर बन सकते हैं। यह नीति उन लोगों को दंडित करती है जो शायद स्वास्थ्य समस्याओं, बाल देखभाल की कमी, या ग्रामीण क्षेत्रों में परिवहन की कमी के कारण पूर्णकालिक काम नहीं कर पाते।

अनकहा सच: असली विजेता कौन है?

इस पूरी बहस का सबसे बड़ा अनकहा सच यह है कि ये नीतियां शायद ही कभी लाभार्थियों की मदद करने के लिए डिज़ाइन की जाती हैं। वे राजनीतिक रूप से लोकप्रिय होती हैं। राजनेता **SNAP** पर खर्च को कम दिखाने के लिए कठोरता का प्रदर्शन करते हैं, भले ही इसका मतलब यह हो कि लाखों बच्चों और बुजुर्गों को भूखा रहना पड़े। असली विजेता वे लोग हैं जो यह तर्क देते हैं कि कल्याणकारी योजनाएं लोगों को 'आलसी' बनाती हैं। यह एक सांस्कृतिक युद्ध है जहां वास्तविक गरीबी को अनदेखा किया जाता है। यह नीति केवल कागजी कार्रवाई और नौकरशाही को बढ़ाती है, जिससे जरूरतमंद लोगों के लिए लाभ प्राप्त करना और भी मुश्किल हो जाता है। रॉयटर्स की रिपोर्टें लगातार दिखाती हैं कि इन नियमों के कारण नामांकन दरें गिरती हैं।

गहरा विश्लेषण: भोजन सुरक्षा बनाम श्रम बाजार

भोजन सुरक्षा (Food Security) एक मानवाधिकार और आर्थिक स्थिरता का आधार है। जब लोगों को पता होता है कि उनके बच्चे भूखे नहीं रहेंगे, तभी वे बेहतर शिक्षा, कौशल विकास या उच्च वेतन वाली नौकरियों की तलाश कर सकते हैं। काम की शर्त इस चक्र को तोड़ती है। यह एक अल्पकालिक, सतही समाधान है जो संरचनात्मक मुद्दों को संबोधित नहीं करता है—जैसे कि $15 प्रति घंटे की न्यूनतम मजदूरी की कमी, स्वास्थ्य देखभाल की लागत, या आवास की कमी। हमें यह समझने की जरूरत है कि भोजन सिर्फ कैलोरी नहीं है; यह उत्पादकता और सामाजिक गतिशीलता का ईंधन है।

भविष्य का पूर्वानुमान: आगे क्या होगा?

मेरा बोल्ड पूर्वानुमान यह है कि काम की शर्तें लागू होने के बावजूद, **SNAP** पर निर्भरता कम नहीं होगी। इसके बजाय, हम देखेंगे कि **गरीबी** और अधिक अदृश्य हो जाएगी। लोग छोटे-मोटे काम करके, या अवैध रूप से लाभ प्राप्त करने की कोशिश करके जीवित रहने के लिए नए तरीके खोजेंगे। सबसे दुखद परिणाम यह होगा कि जो लोग सचमुच काम करना चाहते हैं लेकिन बाधाओं का सामना कर रहे हैं, वे सिस्टम से बाहर हो जाएंगे और उनकी वास्तविक जरूरतें पूरी नहीं हो पाएंगी। भविष्य में, हमें काम की शर्तों पर बहस बंद करके, सार्वभौमिक बुनियादी आय (UBI) या खाद्य वाउचर को सीधे आय समर्थन से जोड़ने जैसे अधिक प्रभावी मॉडलों पर विचार करना होगा, न कि केवल श्रम बाजार की अपर्याप्तताओं को छिपाने पर।

निष्कर्ष

फूड स्टैम्प पर काम की शर्तों को थोपना एक पुरानी, असफल नीति का पुनरुद्धार है। यह नैतिकता और अर्थशास्त्र दोनों के दृष्टिकोण से कमजोर है। हमें गरीबी को एक नैतिक विफलता के रूप में नहीं, बल्कि एक नीतिगत विफलता के रूप में देखना चाहिए।