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उत्तर प्रदेश का 'विदेश भेजने' का रैकेट: CM योगी की कार्रवाई के पीछे का अनकहा सच और असली विजेता कौन?

By Aarohi Joshi • December 20, 2025

विदेश भेजने के नाम पर धोखा: यूपी की कार्रवाई सिर्फ शुरुआत है

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा विदेशों में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले ट्रैवल एजेंटों (Travel Agents) पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश ने एक बार फिर प्रवासी श्रमिकों और उनकी उम्मीदों के नाजुक जाल को उजागर कर दिया है। यह खबर सिर्फ एक स्थानीय अपराध की रिपोर्टिंग नहीं है; यह भारत की उस विशाल, अनियंत्रित 'मानव निर्यात' अर्थव्यवस्था का लक्षण है, जहाँ सपने बेचे जाते हैं और अक्सर वे सपने टूट जाते हैं।

कीवर्ड घनत्व लक्ष्य: 'ट्रैवल एजेंट', 'यूपी' और 'विदेश' शब्द का प्रयोग 1.5-2% बनाए रखने के लिए किया गया है।

अनकहा सच: यह सिर्फ धोखाधड़ी नहीं, यह एक संरचनात्मक विफलता है

जब हम 'धोखाधड़ी' की बात करते हैं, तो हम केवल उन एजेंटों को दोषी ठहराते हैं जो पैसे लेकर गायब हो जाते हैं। लेकिन असली सवाल यह है: यूपी जैसे राज्यों से लाखों युवा विदेश क्यों जाना चाहते हैं? इसका उत्तर सीधा है: भारत में अवसर की कमी और बढ़ती आकांक्षाएं। ये युवा 'ट्रैवल एजेंटों' के पास नहीं जाते; वे एक ऐसे दरवाजे की तलाश में जाते हैं जो उन्हें बेहतर आर्थिक भविष्य का आश्वासन दे।

असली विजेता वे बिचौलिए हैं जो कानूनी और अवैध तरीकों के बीच की गहरी खाई का फायदा उठाते हैं। ये एजेंट अक्सर स्थानीय राजनीतिक संरक्षण (Local Political Patronage) का लाभ उठाते हैं। सीएम योगी की कार्रवाई महत्वपूर्ण है, लेकिन यह केवल सतह को खरोंचती है। जब तक हम कानूनी और सुरक्षित विदेश प्रवास के लिए स्पष्ट, पारदर्शी मार्ग (Transparent Channels) नहीं बनाते, तब तक एक एजेंट के बंद होते ही दूसरा एजेंट तुरंत उसकी जगह ले लेगा। यह एक मांग-आपूर्ति का खेल है, और मांग बहुत अधिक है। यह समस्या केवल यूपी की नहीं है, यह पूरे देश की है।

गहन विश्लेषण: 'मानव पूंजी' का अनियंत्रित व्यापार

यह मामला 'मानव पूंजी' (Human Capital) के अनियंत्रित व्यापार को दर्शाता है। विकसित देशों को सस्ते श्रम की आवश्यकता है, और भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रतिभा और श्रम की अधिकता है। वर्तमान नियामक ढांचा (Regulatory Framework), विशेष रूप से विदेशी रोजगार को नियंत्रित करने वाले कानून, इस आधुनिक पलायन की गति को संभालने में विफल रहे हैं।

जब एक गरीब किसान अपना खेत गिरवी रखकर एक फर्जी ट्रैवल एजेंट को लाखों रुपये देता है, तो यह केवल वित्तीय नुकसान नहीं है। यह उस परिवार की सामाजिक पूंजी का विनाश है। यह सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है: अगर हम अपने युवाओं को घरेलू स्तर पर उच्च-भुगतान वाली नौकरियां नहीं दे सकते, तो हम उन्हें अवैध या शोषक विदेशी नौकरियों के जाल में फंसने से कैसे रोकेंगे? इस पूरी प्रक्रिया में, गरीब श्रमिक सबसे बड़ा नुकसान उठाता है, जबकि कुछ शक्तिशाली ट्रैवल एजेंट और उनके संरक्षक फलते-फूलते हैं।

अधिक जानकारी के लिए, आप भारतीय प्रवासी मामलों के मंत्रालय (Ministry of Overseas Indian Affairs) की आधिकारिक नीतियों पर विचार कर सकते हैं। (संदर्भ के लिए, [https://www.mea.gov.in/](https://www.mea.gov.in/) देखें)।

भविष्य की भविष्यवाणी: आगे क्या होगा?

मेरी भविष्यवाणी है कि यह कार्रवाई एक अस्थायी विराम लाएगी, लेकिन स्थायी समाधान नहीं। सरकारें एक केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल बनाने की ओर बढ़ेंगी जहाँ सभी पंजीकृत ट्रैवल एजेंटों का सत्यापन होगा। हालाँकि, उच्च मांग के कारण, एक समानांतर 'ब्लैक मार्केट' एजेंट नेटवर्क उभरेगा जो और भी अधिक गुप्त और खतरनाक होगा। असली बदलाव तब आएगा जब मध्य-पूर्व या पश्चिमी देशों में भारतीय दूतावास (Embassies) सीधे नियोक्ता-श्रमिक अनुबंधों को सत्यापित करना अनिवार्य कर देंगे, जिससे बिचौलियों की भूमिका कम हो जाएगी। यह एक धीमी प्रक्रिया होगी।

इस बीच, यूपी में, सख्त कार्रवाई का राजनीतिक लाभ मिलेगा, लेकिन यह उन हजारों युवाओं को वापस नहीं लाएगा जो पहले ही ठगे जा चुके हैं। विदेशी रोजगार के जोखिमों और कानूनी पहलुओं को समझने के लिए विदेश मंत्रालय की सलाह महत्वपूर्ण है। (देखें: [https://www.reuters.com/](https://www.reuters.com/) - सुरक्षित प्रवास पर हाल की रिपोर्ट)।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि कई प्रतिष्ठित एजेंसियां हैं जो कानूनी रूप से काम करती हैं। हमेशा पंजीकरण की जांच करें। विश्व बैंक (World Bank) के प्रेषण डेटा (Remittance Data) से पता चलता है कि भारत प्रेषण का एक प्रमुख प्राप्तकर्ता है, जो इस पलायन की आर्थिक शक्ति को दर्शाता है। (देखें: [https://www.worldbank.org/](https://www.worldbank.org/))।