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कश्मीर पर्यटन का 'पहला दौरा' बनाम 'बार-बार दौरा': असली विजेता कौन? ओमर का बयान क्यों चौंकाता है

By Kiara Banerjee • December 14, 2025

कश्मीर में पर्यटन की सफलता का पैमाना क्या है? यह सवाल सतही तौर पर सीधा लगता है, लेकिन जब जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला जैसे अनुभवी राजनीतिक खिलाड़ी इस पर बोलते हैं, तो इसके पीछे छिपी आर्थिक और राजनीतिक सच्चाइयाँ बाहर आने लगती हैं। गुलमर्ग में एडवेंचर टूरिज्म कन्वेंशन के दौरान उनका यह बयान कि 'सच्ची पर्यटन सफलता एक बार के दौरे नहीं, बल्कि बार-बार आने वाले पर्यटक हैं' - केवल एक राजनीतिक बयान नहीं है; यह कश्मीर की अस्थिर अर्थव्यवस्था की नब्ज पर रखा गया एक कठोर हाथ है।

हम हमेशा 'पर्यटन' की संख्या गिनते हैं। कितने लोग आए? कितने रिकॉर्ड टूटे? यह 'फर्स्ट-टाइम विज़िटर' अर्थव्यवस्था एक भ्रम है। यह सतही चमक है। यह एक बार आने वाला पर्यटक, जिसे अक्सर 'वन्स-इन-ए-लाइफटाइम' अनुभव के लिए खींचा जाता है, स्थानीय अर्थव्यवस्था को एक त्वरित उछाल देता है, लेकिन यह टिकाऊ नहीं है। यह किसी भी अस्थिर क्षेत्र के लिए एक खतरनाक जाल है।

अदृश्य आर्थिक समीकरण: 'पहला दौरा' बनाम 'स्थायी ग्राहक'

असली खेल **कश्मीर पर्यटन** के दीर्घकालिक राजस्व मॉडल में छिपा है। एक बार आने वाला पर्यटक शायद एक महंगा पैकेज खरीदेगा, लेकिन वह अक्सर 'स्थानीय' अनुभवों में कम और 'जगह देखने' में अधिक रुचि रखता है। वे बड़े होटल श्रृंखलाओं को लाभ पहुंचाते हैं और उनकी वापसी की संभावना शून्य होती है।

इसके विपरीत, वह पर्यटक जो बार-बार लौटता है—चाहे वह शीतकालीन खेलों के लिए हो या गर्मियों की शांति के लिए—वह एक **स्थायी ग्राहक** है। यह ग्राहक स्थानीय होमस्टे, छोटे कैफे, गाइडों और कारीगरों की रीढ़ बनता है। वे कश्मीर की 'ब्रांड वैल्यू' को मजबूत करते हैं। उमर अब्दुल्ला का बयान वास्तव में इस बात की ओर इशारा करता है कि प्रशासन को अब 'संख्या' की राजनीति छोड़कर 'गुणवत्ता और वफादारी' पर ध्यान केंद्रित करना होगा। यह एक **पर्यटन रणनीति** का मूलभूत बदलाव है। क्या स्थानीय हितधारक इस बदलाव के लिए तैयार हैं?

विपरीत दृष्टिकोण: किसे नुकसान होगा?

यदि यह बदलाव सफल होता है, तो कुछ लोगों को नुकसान होगा। वे बड़े कॉर्पोरेट टूर ऑपरेटर जो 'मास टूरिज्म' के पुराने मॉडल पर निर्भर हैं, उन्हें अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी। इसके अलावा, यदि पर्यटन की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित किया जाता है, तो उन स्थानों पर दबाव कम होगा जो अति-पर्यटन (Overtourism) से जूझ रहे हैं। लेकिन सबसे बड़ा खतरा यह है कि 'बार-बार आने वाले' ग्राहक केवल तभी आएंगे जब सुरक्षा और कनेक्टिविटी (जैसे बेहतर हवाई संपर्क) बेदाग हो। यदि इनमें से कोई भी कड़ी कमजोर हुई, तो यह पूरी रणनीति ध्वस्त हो जाएगी।

हमेशा याद रखें, **कश्मीर पर्यटन** की सफलता केवल पर्यटकों की संख्या से नहीं, बल्कि उन परिवारों की वित्तीय स्थिरता से मापी जाएगी जो हर साल लौटकर आने वाले सैलानियों पर निर्भर करते हैं। यह केवल पर्यटन नहीं है; यह एक सामाजिक अनुबंध है।

भविष्य की भविष्यवाणी: अगले 5 वर्षों में क्या होगा?

मेरा मानना है कि अगले पांच वर्षों में, केंद्र और राज्य सरकारें 'एडवेंचर टूरिज्म' और 'इको-टूरिज्म' पर भारी निवेश करेंगी, जैसा कि गुलमर्ग में संकेत दिया गया है। 'एक बार आने वाले' पर्यटकों के लिए प्रचार अभियान धीमा हो जाएगा। इसके बजाय, हम 'वफादार ग्राहक' बनाने के लिए विशेष लॉयल्टी प्रोग्राम और कश्मीर के विभिन्न मौसमों (जैसे शरद ऋतु के रंग, वसंत के फूल) को बढ़ावा देने वाले लक्षित विपणन देखेंगे। सरकारें शायद स्थानीय समुदायों को उच्च स्तरीय सेवा प्रशिक्षण में निवेश करेंगी ताकि वे अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा कर सकें। यह एक कठिन बदलाव होगा, लेकिन यह एकमात्र रास्ता है जो कश्मीर को अस्थिर पर्यटन चक्र से बाहर निकाल सकता है।

अधिक जानकारी के लिए, आप पर्यटन अर्थशास्त्र पर विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) की रिपोर्ट देख सकते हैं जो स्थायी पर्यटन की आवश्यकता पर जोर देती है।