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क्रिप्टोकरेंसी नियमन का अदृश्य खेल: कौन जीत रहा है और सरकारें क्यों चुप हैं?

By Riya Bhatia • December 19, 2025

क्रिप्टोकरेंसी नियमन का अदृश्य खेल: कौन जीत रहा है और सरकारें क्यों चुप हैं?

क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में तूफान मचा हुआ है। हर देश, खासकर अमेरिका और यूरोपीय संघ, इस डिजिटल संपत्ति को नियंत्रित करने के लिए नियम बना रहे हैं। लेकिन रुकिए, क्या यह वास्तव में जनता की सुरक्षा के लिए है, या यह एक सुनियोजित शक्ति हस्तांतरण का पहला चरण है? डिजिटल संपत्ति के भविष्य पर मंडरा रहे इन नियमों की परतें खोलते हैं, क्योंकि जो दिख रहा है, वह सच्चाई नहीं है।

द हुक: नियमन एक जाल है, सुरक्षा नहीं

जब भी कोई नई तकनीक आती है, सरकारें पहले उसे नजरअंदाज करती हैं। लेकिन जब वह तकनीक इतनी बड़ी हो जाती है कि वह उनकी मौद्रिक संप्रभुता को चुनौती देने लगे, तो वे तुरंत 'उपभोक्ता संरक्षण' का बैनर लेकर कूद पड़ते हैं। क्रिप्टोकरेंसी नियमन की वर्तमान लहर इसी पैटर्न का अनुसरण करती है। सतह पर, यह धोखाधड़ी रोकने और निवेशकों को बचाने की बात करता है। लेकिन असलियत यह है कि यह विकेंद्रीकरण (Decentralization) की मूल भावना को खत्म करने का एक व्यवस्थित प्रयास है।

दुनिया भर की एजेंसियां—चाहे वह SEC हो या FATF—यह सुनिश्चित करना चाहती हैं कि क्रिप्टोकरेंसी का लेन-देन अंततः ट्रेसेबल (पता लगाने योग्य) हो। यह उस गुमनामी की हत्या है जिसने शुरुआत में इसे इतना आकर्षक बनाया था।

द मीट: सत्ता का हस्तांतरण, प्रौद्योगिकी का नहीं

अधिकांश रिपोर्ट्स इस बात पर केंद्रित हैं कि कौन सा टोकन विनियमित होगा और कौन सा नहीं। यह सतही लड़ाई है। असली लड़ाई यह है कि डिजिटल संपत्ति पर नियंत्रण किसका होगा: ब्लॉकचेन डेवलपर्स का, या केंद्रीय बैंकों का? जब बड़े संस्थान (जैसे ब्लैकरॉक) स्पॉट बिटकॉइन ईटीएफ लाते हैं, तो वे विकेंद्रीकरण को केंद्रीकरण के सबसे बड़े हथियार से हरा रहे हैं—सुविधा और पहुंच। लोग अब ब्लॉकचेन पर भरोसा नहीं कर रहे; वे गोल्डमैन सैक्स के माध्यम से बिटकॉइन खरीद रहे हैं। यह एक विरोधाभास है।

वैश्विक स्तर पर, नियमन का मतलब है 'केवाईसी' (अपने ग्राहक को जानें) और 'एएमएल' (एंटी-मनी लॉन्ड्रिंग) नियमों को हर एक्सचेंज पर लागू करना। इसका मतलब है कि छोटे, गुमनाम खिलाड़ी बाहर हो जाएंगे, और केवल वही टिकेंगे जिनके पास बड़े कानूनी अनुपालन विभाग हैं। यानी, नियमन अमीरों को और अमीर बनाएगा और छोटे निवेशकों के लिए प्रवेश बाधाओं को बढ़ाएगा।

विश्लेषण बताता है कि नियामक वास्तव में क्रिप्टोकरेंसी को खत्म नहीं करना चाहते; वे इसे 'टैक्स योग्य' और 'नियंत्रणीय' बनाना चाहते हैं। रॉयटर्स जैसी संस्थाएं लगातार रिपोर्ट कर रही हैं कि कैसे प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अपनी CBDCs (सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी) के लिए रास्ता साफ कर रही हैं, और निजी क्रिप्टो को एक 'विनियमित विकल्प' के रूप में स्थापित कर रही हैं।

द व्हाई इट मैटर्स: इतिहास का एक सबक

यह सिर्फ वित्त के बारे में नहीं है; यह स्वतंत्रता के बारे में है। 2008 के वित्तीय संकट के बाद, बिटकॉइन का जन्म सरकारी हस्तक्षेप के खिलाफ एक प्रतिक्रिया के रूप में हुआ था। अब, वही सत्ता संरचनाएं, जो ध्वस्त होने के कगार पर थीं, इस नई तकनीक को अपने नियंत्रण में ले रही हैं। यह इतिहास का दोहराव है। इंटरनेट की तरह, जिसे शुरू में खुला छोड़ दिया गया था, अब सरकारें उस पर डिजिटल सीमाएं खींच रही हैं।

क्रिप्टोकरेंसी का भविष्य अब इस बात पर निर्भर नहीं करता कि तकनीक कितनी तेज है, बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि कौन सबसे अच्छे वकील नियुक्त कर सकता है।

द प्रेडिक्शन: व्हाट हैपन्स नेक्स्ट?

मेरा बोल्ड अनुमान यह है: अगले पांच वर्षों में, हम 'पब्लिक ब्लॉकचेन' और 'प्राइवेट/परमिशन ब्लॉकचेन' के बीच एक स्पष्ट विभाजन देखेंगे। सार्वजनिक ब्लॉकचेन (जैसे बिटकॉइन) एक डिजिटल गोल्ड या कमोडिटी के रूप में मौजूद रहेंगे, लेकिन उनका उपयोग रोजमर्रा के लेनदेन के लिए कम हो जाएगा क्योंकि वे बहुत अधिक नियामक जांच के दायरे में होंगे। असली विकास उन 'प्राइवेट लेयर-2' समाधानों में होगा जो बड़े बैंकों और सरकारों द्वारा नियंत्रित होंगे। डिजिटल संपत्ति का भविष्य विकेन्द्रीकृत नहीं, बल्कि 'नियंत्रित रूप से वितरित' होगा।

यह एक ऐसा भविष्य है जहां आप अभी भी बिटकॉइन रख सकते हैं, लेकिन आप उसे आसानी से खर्च नहीं कर पाएंगे, खासकर यदि आप किसी ऐसे देश में रहते हैं जहां सरकार की पकड़ मजबूत है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्टें अक्सर इस तकनीकी जटिलता को नजरअंदाज करती हैं।

प्रमुख निष्कर्ष (TL;DR)