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क्वांटम खतरा: क्या बिटकॉइन ब्लॉकचेन का 'गुप्त अंत' बस आने ही वाला है?

By Myra Khanna • December 19, 2025

क्वांटम खतरा: क्या बिटकॉइन ब्लॉकचेन का 'गुप्त अंत' बस आने ही वाला है?

ब्लॉकचेन की दुनिया में एक फुसफुसाहट तेज़ हो रही है, और यह साधारण बग फिक्स के बारे में नहीं है। यह अस्तित्व का संकट है। जब भी बिटकॉइन का नाम आता है, हम विकेंद्रीकरण और अपरिवर्तनीयता की बात करते हैं। लेकिन क्या होगा अगर एक ऐसी तकनीक आ जाए जो इन सभी सिद्धांतों को एक झटके में ध्वस्त कर दे? हम बात कर रहे हैं क्वांटम कम्प्यूटिंग की। डेलॉइट जैसे बड़े नाम इस पर रिपोर्ट प्रकाशित कर रहे हैं, लेकिन वे केवल सतह को खरोंच रहे हैं। असली कहानी कहीं गहरी है।

द अनस्पोकन ट्रुथ: विजेता और हारने वाले

अधिकांश विश्लेषक शोर मचाते हैं कि क्वांटम कंप्यूटर बिटकॉइन के एन्क्रिप्शन को तोड़ देंगे। यह सच है, लेकिन यह पूरी कहानी नहीं है। **क्वांटम कम्प्यूटिंग** का विकास एक धीमी गति वाली दौड़ है, न कि अचानक आने वाला तूफान। असली सवाल यह नहीं है कि क्या वे इसे तोड़ सकते हैं, बल्कि यह है कि 'कौन' पहले इसे तोड़ेगा।

विजेता: वे राष्ट्र-राज्य या निगम जो क्वांटम हार्डवेयर पर भारी निवेश कर रहे हैं। यदि कोई सरकार या शक्तिशाली इकाई पहले 'क्रैक' कर लेती है, तो वे इतिहास में पहली बार वित्तीय डेटा की एक विशाल मात्रा को डिक्रिप्ट करने की शक्ति हासिल कर लेंगे। यह वित्तीय संप्रभुता का अंतिम हस्तांतरण होगा।

हारने वाले: आम बिटकॉइन धारक जो मानते हैं कि उनका पैसा 'अभेद्य' है। सबसे बड़ा खतरा वर्तमान में जमा किए गए सिक्कों पर है, न कि भविष्य के लेनदेन पर। यदि कोई आपके पुराने वॉलेट की निजी कुंजी को डिक्रिप्ट कर सकता है, तो आपका अतीत आपका वर्तमान चुरा सकता है। यह एक 'टाइम-कैप्सूल' डकैती है।

गहन विश्लेषण: यह केवल गणित नहीं है, यह शक्ति है

बिटकॉइन सुरक्षा के लिए SHA-256 और ECDSA (अण्डाकार वक्र डिजिटल हस्ताक्षर एल्गोरिथम) पर निर्भर करता है। शोर के विपरीत, SHA-256 को तोड़ने के लिए क्वांटम कंप्यूटर को बहुत अधिक स्थिर क्यूबिट्स की आवश्यकता होगी, जो शायद अभी दूर है। लेकिन ECDSA, जो आपके पते से हस्ताक्षर करने के लिए उपयोग होता है, 'शॉर के एल्गोरिथम' के प्रति बहुत संवेदनशील है। एक बार जब वह एल्गोरिथम बड़े पैमाने पर लागू हो जाता है, तो सार्वजनिक कुंजी को निजी कुंजी में बदलना बच्चों का खेल हो सकता है।

डेलॉइट जैसी फर्मों का ध्यान 'माइग्रेशन' पर है, यानी प्रोटोकॉल को बदलना। लेकिन क्या यह पर्याप्त है? मेरा मानना है कि यह एक 'बैंड-एड' समाधान है। जब एक बार विश्वास डगमगाता है, तो ब्लॉकचेन का पूरा दर्शन खतरे में पड़ जाता है। यह सिर्फ एक तकनीकी अपग्रेड नहीं है; यह विश्वास का संकट है। क्या हम वास्तव में एक ऐसी दुनिया चाहते हैं जहां सबसे शक्तिशाली संस्था ही सबसे सुरक्षित हो? अधिक जानकारी के लिए, आप क्रिप्टोग्राफी के मूल सिद्धांतों को यहाँ समझ सकते हैं: Wikipedia - Cryptography

भविष्य की भविष्यवाणी: क्वांटम-प्रूफिंग एक मिथक है

अगले पाँच वर्षों में, हम देखेंगे कि बिटकॉइन समुदाय 'पोस्ट-क्वांटम क्रिप्टोग्राफी' (PQC) को अपनाने के लिए मजबूर होगा। लेकिन मेरी भविष्यवाणी यह है कि यह बदलाव उतना सहज नहीं होगा जितना वे दावा करते हैं। एक 'क्वांटम ब्लैक डे' आएगा, शायद एक सफल लेकिन गुप्त हमले के बाद, जो बाजार में दहशत पैदा करेगा। इस दहशत के दौरान, कुछ बड़े एक्सचेंज या संस्थाएँ चुपचाप अपने ग्राहकों के फंड को एक नए, क्वांटम-प्रतिरोधी लेजर में स्थानांतरित कर देंगी, जिससे वे 'अदृश्य रूप से' लाभान्वित होंगे। यह विकेंद्रीकरण की आड़ में केंद्रीकरण का अंतिम कार्य होगा। रॉयटर्स जैसी विश्वसनीय समाचार एजेंसियां ​​शायद बाद में इस पलायन की रिपोर्ट करेंगी।

आगे क्या?

तकनीकी समाधान मौजूद हैं, जैसे कि 'लेगरे-स्मियर' या 'गोल्डिलॉक्स' हस्ताक्षर योजनाएं। लेकिन जब तक आम उपयोगकर्ता यह नहीं समझता कि उसके डिजिटल हस्ताक्षर उसके घर की चाबी की तरह हैं, तब तक वह हमेशा कमजोर रहेगा। ब्लॉकचेन का भविष्य इस बात पर निर्भर नहीं करता कि क्वांटम कंप्यूटर कितने शक्तिशाली हैं, बल्कि इस बात पर निर्भर करता है कि समुदाय कितनी जल्दी अपनी अज्ञानता को दूर करता है। यह युद्ध प्रौद्योगिकी का नहीं, बल्कि जागरूकता का है।