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जेनेटिक डेटा और सामाजिक मुद्दे: UCL का गुप्त एजेंडा क्या है? असली विजेता कौन?

By Aarav Gupta • December 13, 2025

क्या विज्ञान समाज की समस्याओं को सुलझाने का अंतिम हथियार है? लंदन के यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) ने जिस तरह जन्म समूह (Birth Cohort) डेटा को आनुवंशिक जानकारी के साथ जोड़कर **सामाजिक मुद्दों** (Social Issues) के समाधान की बात की है, वह सतही तौर पर नेक लगता है। लेकिन एक विश्व-स्तरीय खोजी पत्रकार के तौर पर, हमें पूछना होगा: इसके पीछे की अनदेखी सच्चाई क्या है? यह सिर्फ शैक्षिक शोध नहीं है; यह शक्ति, नियंत्रण और भविष्य के सामाजिक इंजीनियरिंग का ब्लू-प्रिंट हो सकता है।

द अनस्पोकन ट्रुथ: डेटा का नया उपनिवेशवाद

शोधकर्ता दावा करते हैं कि वे गरीबी, शिक्षा और स्वास्थ्य परिणामों के बीच के जटिल संबंधों को समझने के लिए **आनुवंशिक डेटा** (Genetic Data) का उपयोग कर रहे हैं। यह आकर्षक लगता है, लेकिन यहाँ खतरा छिपा है। जब आप किसी व्यक्ति की आर्थिक स्थिति को उसके डीएनए से जोड़ते हैं, तो आप अनजाने में जैविक नियतिवाद (Biological Determinism) को बढ़ावा दे रहे होते हैं। यह विचार कि आपकी सामाजिक स्थिति, आपकी असफलताएँ, आपके जीन में लिखी हुई हैं।

असली विजेता कौन है? ये बड़े डेटा संग्रह और विश्लेषण करने वाली संस्थाएँ हैं। वे न केवल स्वास्थ्य डेटा पर नियंत्रण कर रहे हैं, बल्कि वे मानव व्यवहार और सामाजिक गतिशीलता के बारे में अभूतपूर्व भविष्य कहनेवाला मॉडल (Predictive Models) बना रहे हैं। यह **जनसांख्यिकीय विश्लेषण** (Demographic Analysis) का भविष्य है, और जो इसे नियंत्रित करता है, वह भविष्य की नीतियों को नियंत्रित करेगा। गरीब समुदायों को 'ठीक' करने के बजाय, कहीं ऐसा तो नहीं कि यह तकनीक उन्हें स्थायी रूप से 'लेबल' करने का एक नया तरीका बन जाए?

गहन विश्लेषण: क्यों यह सिर्फ शिक्षा का मुद्दा नहीं है

UCL का काम बड़े पैमाने के दीर्घकालिक अध्ययनों, जैसे कि 'ग्रोथ स्टडी' पर निर्भर करता है। यह दशकों का डेटा है। अब, वे इसे जीनोमिक्स के साथ मिला रहे हैं। पारंपरिक रूप से, सामाजिक विज्ञान बाहरी कारकों—जैसे गरीबी का माहौल, स्कूलों की गुणवत्ता—को देखता था। लेकिन अब, फोकस व्यक्तिगत, आंतरिक कोड पर शिफ्ट हो रहा है। यह एक मौलिक वैचारिक बदलाव है। यदि कोई बच्चा संघर्ष कर रहा है, तो क्या नीति उसे बेहतर स्कूल देगी, या क्या वे यह निष्कर्ष निकालेंगे कि 'उसकी आनुवंशिक प्रवृत्ति' उसे सीमित करती है?

यह सामाजिक न्याय के लिए एक बड़ी चुनौती है। यदि नीति-निर्माता (Policymakers) जैविक रूप से निर्धारित समाधानों पर अधिक भरोसा करने लगते हैं, तो संरचनात्मक सुधारों (Structural Reforms) की मांग कम हो जाएगी। हम सामाजिक समस्याओं को ठीक करने के बजाय, उन्हें 'मैनेज' करना शुरू कर देंगे, जो कि एक खतरनाक और निराशावादी दृष्टिकोण है। यह सामाजिक विज्ञान की आत्मा पर हमला है। अधिक जानकारी के लिए, आप जीनोम-वाइड एसोसिएशन स्टडीज (GWAS) की सीमाओं पर पढ़ सकते हैं।

भविष्य की भविष्यवाणी: 'प्रिवेंटिव' सोशल क्रेडिट स्कोर?

मेरा बोल्ड अनुमान यह है कि अगले दशक में, यह तकनीक नीति निर्माण में अधिक एकीकृत हो जाएगी। हम एक ऐसे बिंदु पर पहुंचेंगे जहां सरकारें—या निजी बीमा कंपनियाँ—जनसंख्या के जोखिम प्रोफाइल का आकलन करने के लिए इन आनुवंशिक-सामाजिक स्कोरों का उपयोग करेंगी। कल्पना कीजिए: जन्म के समय ही, आपके आनुवंशिक और सामाजिक डेटा के आधार पर, आपको 'उच्च जोखिम' वाले समूह में रखा जाता है। इससे पहले कि आप कोई गलती करें, आपको 'सुधार' कार्यक्रमों के लिए लक्षित किया जाता है। यह **सामाजिक मुद्दों** के समाधान के बजाय, सामाजिक नियंत्रण का एक अत्याधुनिक रूप होगा। यह तकनीक हमें सामाजिक समानता की ओर नहीं, बल्कि एक नए प्रकार के 'जेनेटिक एलीटिज़्म' की ओर ले जा रही है।

यह शोध महत्वपूर्ण है, लेकिन हमें इसकी नैतिकता पर सवाल उठाना जारी रखना होगा। डेटा की शक्ति का दुरुपयोग होना तय है, खासकर जब यह हमारे सबसे कमजोर पहलुओं—हमारे जीन और हमारी सामाजिक स्थिति—को छूता हो।