डिजिटल डिवाइड को पाटने का सरकारी नाटक: पुस्तकालयों के पीछे छिपा असली एजेंडा क्या है?
By Kiara Banerjee • December 16, 2025
क्या यह सिर्फ एक नेक काम है, या ब्रिटिश सरकार की **डिजिटल समावेशिता** (Digital Inclusion) की यह नई पहल असल में एक गहरा सामाजिक नियंत्रण तंत्र है? जब हम सुनते हैं कि यूके सरकार **एआई आत्मविश्वास** (AI Confidence) बढ़ाने के लिए देश के पुस्तकालयों को मोर्चे पर ला रही है, तो हमें रुककर पूछना चाहिए: पर्दे के पीछे क्या चल रहा है? यह सिर्फ पुरानी किताबों की अलमारियों को अपग्रेड करने की कहानी नहीं है; यह उस जनता को साधने की रणनीति है जो तेजी से बदलती तकनीक से डरती है।
### सरकारी नाटक: पुस्तकालय क्यों? (The Unspoken Truth)
सतह पर, पुस्तकालय आदर्श केंद्र लगते हैं। वे मुफ्त हैं, स्थानीय हैं, और सरकार को 'जन-केंद्रित' होने का मौका देते हैं। लेकिन असली खेल **डेटा और पहुंच** का है। सरकार जानती है कि पारंपरिक शिक्षा प्रणाली या कॉर्पोरेट प्रशिक्षण उन लोगों तक नहीं पहुंच पाएगा जो पहले से ही तकनीक से कटे हुए हैं। पुस्तकालय वह सुरक्षित, तटस्थ स्थान प्रदान करते हैं जहाँ सरकार बिना किसी संदेह के नागरिकों को 'सरकारी स्वीकृत' डिजिटल कौशल और एआई साक्षरता का पाठ पढ़ा सकती है। यह उन लोगों पर सूक्ष्म निगरानी और नियंत्रण स्थापित करने का एक शानदार तरीका है जिन्हें वे 'डिजिटल रूप से पिछड़े' मानते हैं। यह **तकनीकी शिक्षा** (Technical Education) को एक सामाजिक सेवा के रूप में पैकेज करने का एक मास्टरस्ट्रोक है।
### विश्लेषण: विजेता और हारने वाले
इस पहल के असली विजेता कौन हैं? पहला, सरकार। वे सफलतापूर्वक यह दिखा सकते हैं कि वे 'किसी को पीछे नहीं छोड़ रहे हैं', जबकि असल में वे डिजिटल खाई को चौड़ा करने वाली बड़ी ताकतों (जैसे टेक कंपनियों का बेतहाशा विकास) से ध्यान हटा रहे हैं। दूसरा विजेता वे टेक कंपनियां हैं जो अपने जटिल उत्पादों को मुफ्त में 'प्रशिक्षित' करवाने के लिए सरकारी ढांचे का उपयोग कर रही हैं।
हारने वाले? वे नागरिक जो अभी भी मानते हैं कि पुस्तकालय केवल किताबें उधार लेने की जगहें हैं। वे अनजाने में अपने व्यवहार और डेटा को एक ऐसे ढाँचे में डाल रहे हैं जिसे सरकार और बड़े टेक प्लेटफॉर्म नियंत्रित करते हैं। यह **डिजिटल साक्षरता** (Digital Literacy) नहीं है; यह सरकारी मानकों के अनुरूप ढलने का दबाव है।
### भविष्य की भविष्यवाणी: अगला कदम क्या होगा?
मेरा मानना है कि अगले 18 महीनों में, हम देखेंगे कि इन 'डिजिटल इंक्लूजन हब' को केवल एआई सिखाने तक सीमित नहीं रखा जाएगा। सरकार इन्हें अनिवार्य **डिजिटल पहचान सत्यापन** (Digital ID Verification) केंद्रों में बदलना शुरू कर देगी। चूँकि यह एकमात्र भरोसेमंद सार्वजनिक स्थान होगा जहाँ लोग मुफ्त इंटरनेट और सहायता प्राप्त कर सकते हैं, इसलिए नागरिकों को अपनी सरकारी सेवाओं (जैसे लाभ या पहचान पत्र) तक पहुँचने के लिए इन पुस्तकालयों पर निर्भर होना पड़ेगा। पुस्तकालय, जो कभी ज्ञान के गढ़ थे, अब अनिवार्य सरकारी एक्सेस पॉइंट बन जाएंगे। यह एक शांत, अदृश्य डिजिटलीकरण है।
**निष्कर्ष**: यह पहल स्वागत योग्य लग सकती है, लेकिन हमें इसके पीछे की राजनीतिक और सामाजिक इंजीनियरिंग को समझना होगा। ज्ञान को हमेशा नियंत्रित किया गया है, और आज, डिजिटल ज्ञान नियंत्रण का अंतिम उपकरण है।
[External Link: AI and the Future of Work](https://www.reuters.com/technology/artificial-intelligence/)
[External Link: Understanding the Digital Divide](https://www.brookings.edu/articles/)
[External Link: UK Government Digital Strategy](https://www.gov.uk/government/organisations/)