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धैर्य श्रीनिवासन और विष्णु उन्नीकृष्णन की जोड़ी: क्या यह मलयालम सिनेमा का नया 'दंगल' है या बस एक और फ्लॉप?

By Arjun Khanna • December 20, 2025

दंगल से पहले का शोर: क्यों 'भीष्म' की मेकिंग वीडियो इतनी ज़रूरी है?

मलयालम फिल्म उद्योग (Mollywood) एक बार फिर चर्चा में है, और इस बार केंद्र में हैं दो नाम: धैर्य श्रीनिवासन और विष्णु उन्नीकृष्णन। हाल ही में उनकी आगामी फिल्म 'भीष्म' (Bhishmar) की मेकिंग वीडियो जारी हुई है, और इसने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया है। सतह पर, यह सिर्फ एक और नई फिल्म की घोषणा लगती है, लेकिन एक विश्लेषक के तौर पर, मैं आपको बताता हूँ कि यह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि इंडस्ट्री के बदलते समीकरणों का संकेत है। यह मलयालम सिनेमा के भविष्य की एक छोटी सी झलक है।

अनकहा सच: यह सिर्फ स्टारडम की टक्कर नहीं है, यह विरासत का युद्ध है।

धैर्य श्रीनिवासन, दिवंगत अभिनेता श्रीनिवासन के बेटे हैं, जो खुद एक स्थापित नाम हैं। वहीं, विष्णु उन्नीकृष्णन भी एक ऐसे परिवार से आते हैं जिसका सिनेमा से गहरा नाता रहा है। जब दो ऐसे कलाकार पहली बार साथ आते हैं, तो दर्शकों की उम्मीदें आसमान छू जाती हैं। लेकिन यहाँ असली दांव क्या है? यह फिल्म इन दोनों अभिनेताओं को स्थापित अभिनेताओं की छाया से बाहर निकालने का मौका है। धैर्य को अक्सर उनके पिता की विरासत के चश्मे से देखा जाता है, और विष्णु को भी अपने पारिवारिक कनेक्शन के कारण एक खास टैग मिलता है। 'भीष्म' उनके लिए एक लॉन्चपैड है—या तो वे इसे पार करके अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाएंगे, या फिर वे एक 'अच्छी जोड़ी' बनकर इतिहास में दर्ज हो जाएंगे। यह बॉलीवुड के खान तिकड़ी (Khaans) के उदय जैसा ही एक सूक्ष्म सांस्कृतिक बदलाव है, जहाँ नई पीढ़ी स्थापित शक्ति को चुनौती देती है।

गहराई से विश्लेषण: क्यों यह 'साधारण' नहीं है?

यह फिल्म इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मलयालम सिनेमा की उस नई लहर का प्रतिनिधित्व करती है जो केवल मसाला या क्लासिक आर्ट हाउस फिल्मों पर निर्भर नहीं रहना चाहती। यह **एक्शन मसाला** और **सार्थक कहानी** के बीच संतुलन खोजने की कोशिश है। मेकिंग वीडियो में दिखी उच्च उत्पादन गुणवत्ता (High Production Value) यह दर्शाती है कि निर्माता जोखिम लेने को तैयार हैं। यह उस दौर के विपरीत है जब मलयालम फिल्में अक्सर कम बजट में लीक से हटकर कंटेंट पेश करती थीं। अब, वे बड़े कैनवास पर उतर रहे हैं, जिसका सीधा मुकाबला पैन-इंडिया ब्लॉकबस्टर से है।

विपरीत दृष्टिकोण (Contrarian View): अधिकांश लोग इसे एक सफल सहयोग मान रहे हैं। मेरा मानना है कि यह सहयोग खतरनाक हो सकता है। जब दो मजबूत व्यक्तित्व एक साथ आते हैं, तो पर्दे पर केमिस्ट्री के बजाय अहंकार की लड़ाई दिख सकती है। यदि पटकथा (Screenplay) इन दोनों अभिनेताओं को समान रूप से महत्व नहीं देती है, तो यह सहयोग दर्शकों को निराश कर सकता है, जिससे दोनों के करियर को झटका लग सकता है। यह एक उच्च जोखिम, उच्च इनाम वाली स्थिति है। इस तरह के सहयोग अक्सर 'सेफ्टी नेट' के रूप में काम करते हैं, लेकिन अगर फिल्म विफल होती है, तो दोनों पर विफलता का दोहरा बोझ पड़ेगा।

आगे क्या होगा? भविष्य की भविष्यवाणी

मेरा मानना है कि 'भीष्म' बॉक्स ऑफिस पर औसत या उससे थोड़ा बेहतर प्रदर्शन करेगी। यह एक कल्ट क्लासिक बनने के बजाय, एक सुरक्षित व्यावसायिक प्रयास होगी। हालाँकि, इसकी असली जीत फिल्म की सफलता में नहीं, बल्कि इस बात में होगी कि यह अन्य निर्माताओं को क्या संदेश देती है। यह फिल्म साबित करेगी कि मलयालम फिल्म निर्माता अब बड़े बजट के साथ प्रयोग करने से नहीं डरते। इसके बाद, हम देखेंगे कि अगले दो वर्षों में इसी तरह की 'दो युवा सितारों' वाली परियोजनाओं की बाढ़ आएगी, क्योंकि निर्माता इस फॉर्मूले को दोहराना चाहेंगे। यह एक नया ट्रेंड सेट करेगा, भले ही पहली फिल्म औसत हो।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह जोड़ी एक बार फिर साथ आती है, या यह एक 'वन-टाइम वंडर' बनकर रह जाती है। मलयालम सिनेमा के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण अध्याय हो सकता है, बशर्ते वे सिर्फ स्टार पावर पर निर्भर न रहें।