वो अनकहा सच जिसे कोई नहीं बता रहा: फ्रांस और यूके में सीमा विरोधी सक्रियता
क्या फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम (UK) जानबूझकर **अप्रवासी विरोधी कार्यकर्ताओं** (Anti-Migrant Activists) को छूट दे रहे हैं? गार्जियन की रिपोर्ट बताती है कि ये दोनों देश इन समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहे हैं। लेकिन यह विफलता महज़ प्रशासनिक कोताही नहीं है; यह एक खतरनाक राजनीतिक रणनीति का हिस्सा हो सकती है। मुख्यधारा का मीडिया केवल कानूनी चूक पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, लेकिन हम यहाँ **सक्रियतावाद (Activism)** की राजनीति और इसके छिपे हुए लाभार्थियों का विश्लेषण करेंगे।
माइनॉरिटी वोट बैंक की गणना: सत्ता का असली खेल
जब सरकारें चरमपंथी या विभाजनकारी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने में धीमी होती हैं, तो वे अक्सर एक अजीब संतुलन साधने की कोशिश करती हैं। फ्रांस में, मैक्रों की सरकार को धुर दक्षिणपंथी दलों से लगातार चुनौती मिलती है। यूके में, ब्रेक्सिट के बाद की राजनीति में प्रवासन एक संवेदनशील मुद्दा बना हुआ है। **अप्रवासन (Immigration)** पर सख्त रुख अपनाने का ढोंग करने के लिए, सत्तारूढ़ दल इन कार्यकर्ताओं को एक 'सुरक्षित आउटलेट' प्रदान करते हैं। यह उन्हें कट्टर आधार को शांत रखने की अनुमति देता है, जबकि वे खुद को 'मध्यमार्गी' दिखा सकते हैं। यह एक क्लासिक राजनीतिक चाल है: समस्या को पूरी तरह खत्म न करो, बस उसे नियंत्रित करो। इससे मुख्यधारा की बहस चरमपंथ की ओर खिसक जाती है, जिससे सत्ताधारी दल को लाभ होता है। यह **राजनीतिक सक्रियता** का एक जहरीला रूप है।
गहराई से विश्लेषण: कौन जीत रहा है और कौन हार रहा है?
**जीतने वाले:**
1. **धुर दक्षिणपंथी दल:** ये कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर प्रचार करते हैं, जिससे मुख्यधारा की राजनीति पर दक्षिणपंथी विचारों का दबाव बढ़ता है।
2. **सरकारें (अल्पकालिक लाभ के लिए):** वे कठोर कार्रवाई से बचते हुए, कट्टर मतदाताओं को खुश रखने का काम करती हैं।
3. **विघटनकारी ताकतें:** समाज में विभाजन जितना गहरा होता है, लोकतांत्रिक संस्थानों पर भरोसा उतना ही कम होता है।
**हारने वाले:**
1. **मध्यम मार्ग:** तर्कसंगत प्रवासन नीतियों पर बहस लगभग असंभव हो जाती है।
2. **वास्तविक प्रवासी:** वे अनावश्यक रूप से भय और शत्रुता का केंद्र बन जाते हैं।
3. **कानून का शासन:** जब कानून का पालन करने वाले समूहों को अनदेखा किया जाता है, तो यह संदेश जाता है कि सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना प्राथमिकता नहीं है।
भविष्यवाणी: आगे क्या होगा? 'द ग्रेट नॉर्मलाइज़ेशन'
मेरा मानना है कि यह प्रवृत्ति केवल बढ़ेगी। अगले पांच वर्षों में, हम देखेंगे कि फ्रांस और यूके दोनों में **अप्रवासी विरोधी बयानबाजी** मुख्यधारा की पार्टियों के घोषणापत्रों में और अधिक गहराई से समाहित हो जाएगी। सरकारों की निष्क्रियता एक नए 'सामान्य' को स्थापित करेगी जहाँ इस तरह की सक्रियता को राजनीतिक रूप से स्वीकार्य माना जाएगा। कानूनी चुनौतियाँ धीमी होंगी, और इन कार्यकर्ताओं को 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता' की आड़ में और अधिक जगह मिलेगी। यह अप्रवासन पर वैश्विक बहस को अत्यधिक ध्रुवीकृत कर देगा, जिससे मध्यम मार्ग लगभग विलुप्त हो जाएगा। यह एक ऐसा माहौल तैयार करेगा जहाँ भविष्य की सरकारें और भी कठोर नीतियां अपनाने के लिए मजबूर होंगी, क्योंकि वे पहले से ही चरमपंथी विचारों के सामने झुक चुकी होंगी। (अधिक जानकारी के लिए, आप प्रवासन पर यूरोपीय संघ की नीतियों पर पढ़ सकते हैं:
Reuters)
निष्कर्ष: निष्क्रियता ही सबसे बड़ी कार्रवाई है
यूके और फ्रांस की सरकारों की यह कथित विफलता दरअसल एक सक्रिय निष्क्रियता है। वे शांति बनाए रखने के नाम पर विभाजन को बढ़ावा दे रहे हैं। यह केवल कानून और व्यवस्था का मुद्दा नहीं है; यह लोकतंत्र की उस भावना पर हमला है जो विविधता और सहिष्णुता को महत्व देती है। जब तक इन समूहों को जवाबदेह नहीं ठहराया जाता, वे समाज में डर और अविश्वास का बीज बोते रहेंगे। (इस विषय पर ऐतिहासिक संदर्भ के लिए, आप
Wikipedia पर राजनीतिक सक्रियता के इतिहास को देख सकते हैं)।
यह समय है कि नागरिक इन सरकारों से सवाल करें: **आप किसे बचा रहे हैं?** (इस विश्लेषण के लिए संदर्भ:
The New York Times)