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बाजार का यह खेल: जब निफ्टी गिरता है, तो मिडकैप क्यों उछलता है? असली विजेता कौन?

By Arjun Khanna • December 10, 2025

बाजार का यह खेल: जब निफ्टी गिरता है, तो मिडकैप क्यों उछलता है? असली विजेता कौन?

भारतीय शेयर बाजार ने एक बार फिर वही पुराना नाटक दोहराया है। सेंसेक्स 410 अंकों की गिरावट के साथ बंद हुआ और निफ्टी 25900 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे फिसल गया। लेकिन असली कहानी यह नहीं है। कहानी यह है कि जब बड़े इंडेक्स (Nifty 50) संघर्ष कर रहे थे, तब मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों ने तूफानी रैली की। यह सिर्फ एक अस्थिरता नहीं है; यह बाजार की संरचना में एक गहरे बदलाव का संकेत है। इसे समझने के लिए आपको वॉल स्ट्रीट जर्नल या मनीकंट्रोल की हेडलाइन से आगे देखना होगा।

अनकहा सच: लार्जकैप 'सुरक्षा कवच' बनाम मिडकैप का 'जोखिम प्रीमियम'

अधिकांश विश्लेषक इसे 'रोटेशन' कहते हैं—पैसा सुरक्षित लार्जकैप से निकलकर जोखिम भरे छोटे शेयरों में जा रहा है। लेकिन यह सिर्फ रोटेशन नहीं है, यह भारतीय शेयर बाजार (Indian Stock Market) की एक मूलभूत मानसिकता को दर्शाता है। जब बड़े निवेशक (FIIs) वैश्विक अनिश्चितता के कारण घबराते हैं, तो वे स्थिरता के लिए निफ्टी 50 की दिग्गज कंपनियों में बिकवाली शुरू करते हैं। यह बिकवाली ही मुख्य सूचकांक को नीचे खींचती है।

लेकिन स्थानीय संस्थागत निवेशक (DIIs) और खुदरा निवेशक, जो भारतीय अर्थव्यवस्था की जमीनी हकीकत को बेहतर समझते हैं, वे जानते हैं कि असली विकास दर छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs) से आ रही है। ये कंपनियां सरकारी योजनाओं, घरेलू खपत में वृद्धि और मजबूत ऑर्डर बुक से सीधे लाभान्वित होती हैं। इसलिए, जब FIIs घबराते हैं, तो DIIs 'वैल्यू' शिकार करने के लिए मिडकैप और स्मॉलकैप में आक्रामक खरीदारी करते हैं। यह बाजार का एक विरोधाभासी खेल है: विदेशी पैसा डरता है, जबकि घरेलू पैसा अवसर देखता है।

गहराई से विश्लेषण: यह केवल अस्थिरता नहीं, यह 'डी-ग्लोबलाइजेशन' का संकेत है

इस पैटर्न का एक बड़ा आर्थिक निहितार्थ है। यदि वैश्विक मांग कमजोर होती है, तो निफ्टी 50 (जिसमें आईटी और निर्यात-उन्मुख कंपनियां हावी हैं) सबसे पहले प्रभावित होता है। लेकिन अगर भारत की आंतरिक खपत मजबूत बनी रहती है, तो डोमेस्टिक-ओरिएंटेड मिडकैप और स्मॉलकैप फलते-फूलते हैं। इस रैली का मतलब है कि बाजार अब 'मेक इन इंडिया' और घरेलू खपत की कहानी पर अधिक भरोसा कर रहा है, बजाय इसके कि वह वैश्विक मंदी की आशंकाओं पर निर्भर रहे। यह भारतीय पूंजी बाजार के परिपक्व होने का संकेत है। यहां देखें कि कैसे वैश्विक रुझान भारत को प्रभावित करते हैं: Reuters Markets Overview

भविष्य की भविष्यवाणी: अगले छह महीने किसके होंगे?

मेरा मानना है कि यह रुझान जारी रहेगा, लेकिन एक मोड़ के साथ। अगले 3-6 महीनों में, मिडकैप की गति थोड़ी धीमी हो सकती है क्योंकि वे पहले ही काफी बढ़ चुके हैं। मेरा साहसिक पूर्वानुमान यह है कि निफ्टी 50 जल्द ही अपने ऑल-टाइम हाई को फिर से छुएगा, लेकिन यह रैली लार्जकैप की ब्लू-चिप कंपनियों द्वारा संचालित नहीं होगी। इसके बजाय, यह उन चुनिंदा लार्जकैप शेयरों द्वारा संचालित होगी जो सीधे सरकारी पूंजीगत व्यय (Capex) या बैंकिंग सेक्टर के मजबूत प्रदर्शन से जुड़े हैं। स्मॉलकैप में अत्यधिक उत्साह के कारण कुछ क्षेत्रों में 'ओवरहीटिंग' होगी, जिससे अगले तिमाही नतीजों के बाद एक तेज सुधार (Correction) आ सकता है। निवेशकों को सतर्क रहना होगा।

यह बाजार की जटिलता को समझने के लिए, आप शेयर बाजार सूचकांकों की कार्यप्रणाली को समझ सकते हैं।

निष्कर्ष: जोखिम को गले लगाओ, लेकिन समझदारी से

बाजार में पैसा वही कमाता है जो भीड़ के विपरीत सोचने की हिम्मत रखता है। जब मुख्यधारा घबराकर बेच रही हो, तब गुणवत्तापूर्ण मिडकैप में निवेश करना ही इस अस्थिरता का फायदा उठाने का एकमात्र तरीका है। लेकिन याद रखें, मिडकैप रैली में 'फ्लाइंग' शेयरों की पहचान करना ही असली कौशल है।