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भारत का $1.1 ट्रिलियन रोबोटिक्स सपना: कौन बनेगा करोड़पति और कौन होगा बेरोजगार? असली खेल समझिए!

By Kiara Banerjee • December 15, 2025

भारत का $1.1 ट्रिलियन रोबोटिक्स सपना: कौन बनेगा करोड़पति और कौन होगा बेरोजगार? असली खेल समझिए!

भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर एक नई रिपोर्ट आई है, जिसमें दावा किया गया है कि रोबोटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) 2047 तक देश के विनिर्माण सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में $1.1 ट्रिलियन जोड़ सकते हैं। यह संख्या लुभावनी है, लेकिन एक विश्व-स्तरीय खोजी पत्रकार के रूप में, मेरा काम केवल संख्याओं को दोहराना नहीं है, बल्कि उस पर्दे को उठाना है जिसके पीछे असली खेल छिपा है। क्या यह सिर्फ विकास की कहानी है, या यह एक सामाजिक भूकंप की प्रस्तावना है?

एंजेल वन की इस रिपोर्ट को सतह पर देखने पर लगता है कि भारत 'मेक इन इंडिया' को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। लेकिन इस AI क्रांति का सबसे बड़ा लाभार्थी कौन होगा? यह स्पष्ट है: पूंजीपति और तकनीकी अभिजात वर्ग। वे जो रोबोट खरीद सकते हैं, उन्हें प्रोग्राम कर सकते हैं, और सबसे महत्वपूर्ण, वे जो डेटा को नियंत्रित करते हैं। यह $1.1 ट्रिलियन का केक उन लाखों श्रमिकों के लिए नहीं है जो आज असंगठित क्षेत्र में काम कर रहे हैं। यह एक कठोर सत्य है: उच्च स्वचालन (Automation) का मतलब है उच्च लाभ, लेकिन यह उच्च विस्थापन (Displacement) भी लाता है। हमें भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य पर एक कठोर दृष्टिकोण की आवश्यकता है।

अनकहा सच: कौशल का विभाजन और सामाजिक अस्थिरता

हर कोई इस बात पर ध्यान केंद्रित कर रहा है कि रोबोट कितनी कुशलता से काम करेंगे। कोई यह नहीं पूछ रहा है कि जब एक रोबोट दस लोगों का काम करेगा, तो वे दस लोग क्या करेंगे? भारत पहले से ही एक विशाल युवा आबादी का सामना कर रहा है। यदि हम बड़े पैमाने पर विनिर्माण (Manufacturing) में रोबोटिक्स को अपनाते हैं, तो हमें एक अभूतपूर्व 'कौशल विभाजन' देखने को मिलेगा। एक तरफ वे होंगे जिनके पास कोडिंग, डेटा साइंस और रोबोट रखरखाव के कौशल होंगे, और दूसरी तरफ करोड़ों लोग होंगे जिनकी मेहनत की कमाई मशीनें छीन लेंगी। यह केवल बेरोजगारी नहीं है; यह सामाजिक ढांचे का टूटना है।

सरकारें अक्सर इस तरह की रिपोर्टों का उपयोग विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए करती हैं। वे 'भविष्य के लिए तैयार' दिखने की कोशिश करते हैं। लेकिन क्या वे वास्तव में श्रमिकों के लिए बड़े पैमाने पर पुनः कौशल (Reskilling) कार्यक्रम चला रहे हैं? या क्या यह सिर्फ एक फैंसी आंकड़ा है जिसे निवेशक देखना चाहते हैं? मेरा मानना है कि यदि वर्तमान गति से काम चला, तो 2047 तक, भारत दुनिया की सबसे उन्नत विनिर्माण शक्ति बन सकता है, लेकिन साथ ही, यह दुनिया में सबसे बड़ी बेरोजगार युवा आबादी वाला देश भी बन सकता है। यह विरोधाभास ही असली खतरा है।

भविष्य की भविष्यवाणी: 'भारत 4.0' का दोहरा चरित्र

अगले दशक में, हम देखेंगे कि रोबोटिक्स अपनाने की गति शहरी औद्योगिक गलियारों (जैसे गुजरात, तमिलनाडु) में अत्यधिक तेज होगी, जिससे इन क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ेगी और आय असमानता बढ़ेगी। इसके विपरीत, ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र पीछे छूट जाएंगे। मेरी बोल्ड भविष्यवाणी यह है कि भारत सरकार को रोबोटिक्स के उपयोग पर एक विशेष 'स्वचालन कर' (Automation Tax) लगाने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यह कर उन कंपनियों से वसूला जाएगा जो बड़े पैमाने पर मानव श्रम को मशीनों से बदलती हैं, और इस राजस्व का उपयोग सार्वभौमिक बुनियादी आय (Universal Basic Income - UBI) या बड़े पैमाने पर कौशल उन्नयन कार्यक्रमों के लिए किया जाएगा। रोबोटिक्स को रोकना असंभव है, लेकिन इसके सामाजिक परिणामों को नियंत्रित करना अनिवार्य है। अधिक जानकारी के लिए, आप अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की स्वचालन पर रिपोर्ट देख सकते हैं।

यह $1.1 ट्रिलियन का सपना तभी साकार होगा जब हम इसे केवल आर्थिक विकास के लेंस से नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय के लेंस से देखेंगे।

तकनीकी प्रगति का इतिहास हमेशा दोहरावदार रहा है। औद्योगिक क्रांति ने बड़े पैमाने पर उत्पादन दिया, लेकिन इसने कारखानों में अमानवीय श्रम की कीमत पर। क्या हम रोबोटिक्स के साथ वही गलती दोहराएंगे? यह सवाल आज हर नीति निर्माता को खुद से पूछना चाहिए।