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भूलने की 'रेसिपी': कोलंबियाई कला कैसे उन लोगों का बदला ले रही है जिन्हें सरकार ने भुला दिया?

By Ishaan Kapoor • December 9, 2025

क्या भोजन सिर्फ पेट भरने का साधन है, या यह इतिहास को फिर से लिखने का एक गुप्त हथियार बन सकता है? कोलंबिया, दशकों के आंतरिक संघर्ष और हजारों 'लापता व्यक्तियों' (Disappeared Persons) के दर्द से जूझ रहे देश में, एक कलाकार ने एक ऐसा क्रांतिकारी तरीका खोजा है जो चुपचाप स्थापित मानदंडों को चुनौती दे रहा है। यह केवल एक कला प्रदर्शनी नहीं है; यह एक **स्मृति व्यंजन (Recipes for Remembrance)** की मुहिम है, जो हमें उन लोगों की याद दिलाती है जिन्हें सत्ता ने मिटाने की कोशिश की।

द अनस्पोकन ट्रुथ: भोजन और विस्मृति का राजनीतिशास्त्र

दुनिया भर में, संघर्षों के बाद न्याय अक्सर अदालतों और स्मारक पट्टिकाओं तक सीमित रहता है। लेकिन कोलंबियाई कलाकार इस परंपरा को तोड़ रहे हैं। वे गायब हुए लोगों के पसंदीदा व्यंजनों को 'पुनर्जीवित' कर रहे हैं। सतह पर, यह मार्मिक और भावुक लगता है। लेकिन इसका गहरा राजनीतिक अर्थ है। **कोलंबियाई संघर्ष** के दौरान, जबरन गायब करना (forced disappearances) राज्य और अर्धसैनिक बलों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक भयावह उपकरण था ताकि प्रतिरोध को जड़ से खत्म किया जा सके और पीड़ितों के परिवारों को अनिश्चितता के नरक में धकेला जा सके।

जब आप किसी व्यक्ति के पसंदीदा भोजन की विधि को संरक्षित करते हैं, तो आप केवल एक नुस्खा नहीं बचा रहे होते; आप उनके अस्तित्व के प्रमाण को सामाजिक ताने-बाने में फिर से बुन रहे होते हैं। यह एक **सांस्कृतिक प्रतिशोध** है। यह उस सिस्टम को चुनौती देता है जिसने इन लोगों को 'संख्या' या 'फाइल' बना दिया था। यह उन परिवारों के लिए एक शक्तिशाली बयान है जिन्हें कभी कोई अंतिम संस्कार करने की अनुमति नहीं मिली। भोजन यहाँ राजनीतिक उपकरण बन जाता है, क्योंकि यह 'याद' को इतना मूर्त बना देता है कि उसे अनदेखा करना असंभव हो जाता है। यह शायद सबसे बड़ा खतरा उन शक्तियों के लिए है जो चाहती थीं कि ये लोग हमेशा के लिए इतिहास से मिट जाएं।

इस तरह की पहल, जिसे 'ट्रुथ-टेलिंग' (सत्य-कथन) के रूप में जाना जाता है, अक्सर हाशिये पर पड़े समुदायों द्वारा अपनाई जाती है। यह 'न्याय' की पारंपरिक परिभाषा से हटकर, सामुदायिक उपचार और पहचान की बहाली पर केंद्रित है। यह एक ऐसा तरीका है जिससे साधारण नागरिक, शक्तिशाली संस्थानों को बायपास करते हुए, इतिहास का नियंत्रण अपने हाथों में ले लेते हैं।

गहन विश्लेषण: क्यों यह 'रेसिपी' अन्य स्मारकों से बेहतर है

पारंपरिक स्मारक अक्सर ठंडे और दूर होते हैं। लेकिन एक व्यंजन गर्म होता है, यह सुगंधित होता है, और यह साझा किया जाता है। यही वह जगह है जहाँ यह पहल अपनी असली ताकत हासिल करती है। यह **लापता लोगों की कहानियों** को अंतरंग घरेलू स्थानों में ले जाती है। यह एक निष्क्रिय याददाश्त नहीं है; यह एक सक्रिय, संवेदी अनुभव है।

सोचिए: एक परिवार अपने लापता सदस्य के पसंदीदा 'अरेपा' (Arepa) को बनाता है। उस प्रक्रिया में, वे उस व्यक्ति की आवाज़, उनकी आदतें, और उनकी उपस्थिति को महसूस करते हैं। यह सिर्फ भोजन नहीं है; यह एक अनुष्ठान है जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित हो सकता है, भले ही मुख्यधारा का इतिहास उन्हें नकार दे। यह कला की वह विडंबना है जो सबसे कठोर राजनीतिक सच्चाइयों को भी तोड़ सकती है।

भविष्यवाणी: आगे क्या होगा?

यह मॉडल, जो कला और भोजन को जोड़ता है, निश्चित रूप से अन्य संघर्ष क्षेत्रों में फैलने वाला है। हम देखेंगे कि वेनेज़ुएला, सीरिया और अन्य स्थानों पर मानवाधिकार कार्यकर्ता इसी तरह के 'स्वाद-आधारित' न्याय आंदोलनों को अपनाते हैं। सबसे बड़ी चुनौती आएगी जब राजनीतिक व्यवस्था इन व्यंजनों को 'आधिकारिक' मान्यता देने के लिए मजबूर होगी। यदि सरकारें इस कला को अपनाती हैं, तो वे इसे निष्प्रभावी करने का जोखिम उठाते हैं, इसे एक पर्यटक आकर्षण में बदल देते हैं। यदि वे इसे दबाते हैं, तो वे खुद को उन शहीदों के दुश्मनों के रूप में उजागर करते हैं जिन्हें वे शांत करने का दावा करते हैं। **मेरा मानना है कि अगले पांच वर्षों में, यूनेस्को (UNESCO) जैसे अंतर्राष्ट्रीय निकाय इन 'मेमोरी रेसिपी' परियोजनाओं को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता देने पर विचार करेंगे, जिससे यह एक वैश्विक सामाजिक न्याय उपकरण बन जाएगा।**

निष्कर्ष: स्वाद का स्थायी निशान

कोलंबिया हमें सिखा रहा है कि सबसे शक्तिशाली विरोध अक्सर सबसे विनम्र रूप में आता है। यह 'स्मृति व्यंजन' सिर्फ याद रखने का एक तरीका नहीं है; यह जीवित रहने का एक तरीका है, और सबसे महत्वपूर्ण बात, यह मांग करने का एक तरीका है कि जिन्हें भुला दिया गया था, उन्हें अंततः स्वीकार किया जाए।