मानसिक स्वास्थ्य की घोषणा: नेताओं ने क्या छिपाया? असली खेल किसके लिए है?
दुनिया भर के नेताओं ने हाल ही में गैर-संचारी रोगों (NCDs) और मानसिक स्वास्थ्य पर एक ऐतिहासिक वैश्विक घोषणा को अपनाया है। WHO की इस घोषणा को एक बड़ी जीत के रूप में प्रचारित किया जा रहा है, लेकिन एक खोजी पत्रकार के रूप में, मेरा काम सिर्फ तालियों की गड़गड़ाहट सुनना नहीं है, बल्कि यह जानना है कि पर्दे के पीछे क्या चल रहा है। क्या यह वास्तव में लोगों के लिए एक क्रांति है, या यह केवल एक कागजी कार्रवाई है जो स्वास्थ्य बजट पर दबाव कम करने के लिए की गई है? इस घोषणा का असली मकसद और भविष्य की दिशा क्या होगी, इसका विश्लेषण आवश्यक है।
'ऐतिहासिक' घोषणा का अनदेखा सच: फंडिंग का शून्य
घोषणाएं बनाना आसान है; उन्हें लागू करना कठिन है। यह घोषणा मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य के बराबर लाने की बात करती है। यह महान है। लेकिन ज़मीनी हकीकत क्या है? दुनिया भर के देश दशकों से मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं के लिए बजट आवंटन में पीछे रहे हैं। हम 'मानसिक स्वास्थ्य' को प्राथमिकता देने की बात कर रहे हैं, लेकिन क्या इस घोषणा के साथ कोई नई, ठोस फंडिंग प्रतिबद्धता जुड़ी है? नहीं। यह एक राजनीतिक जीत है, जो सरकारों को यह दिखाने का मौका देती है कि वे 'जागृत' हैं, जबकि उन्हें वास्तव में अपने मौजूदा, अपर्याप्त बजटों पर कोई बड़ा बोझ नहीं उठाना पड़ रहा है। यह एक 'टोकन जेस्चर' है, न कि वित्तीय क्रांति।
कौन जीतता है और कौन हारता है?
इस खेल में सबसे बड़ा विजेता फार्मास्युटिकल उद्योग है। जैसे ही मानसिक स्वास्थ्य को मुख्यधारा में लाया जाता है, दवा कंपनियों के लिए नए बाजार खुलते हैं। यह घोषणा अप्रत्यक्ष रूप से दवा-आधारित समाधानों पर अधिक निर्भरता को बढ़ावा देती है, बजाय इसके कि सामुदायिक देखभाल, सामाजिक समर्थन प्रणालियों और रोकथाम पर अधिक ध्यान दिया जाए। हारने वाले कौन हैं? वे गरीब और ग्रामीण समुदाय हैं जहाँ प्रशिक्षित पेशेवरों की भारी कमी है। वे लोग जो दवा नहीं खरीद सकते या जिनके पास विशेषज्ञ तक पहुँच नहीं है, वे कागजी वादों के बोझ तले दबे रहेंगे। यह वैश्विक स्वास्थ्य असमानता को कम करने के बजाय उसे नया रूप दे सकता है।
गहन विश्लेषण: क्यों यह 'नॉर्मलाइजेशन' खतरनाक हो सकता है
इस कदम का एक गहरा सांस्कृतिक प्रभाव है। मानसिक स्वास्थ्य का सामान्यीकरण आवश्यक है, लेकिन जब इसे केवल एक 'बीमारी' के रूप में देखा जाता है जिसे दवा से ठीक किया जा सकता है, तो हम सामाजिक और आर्थिक तनावों को अनदेखा कर देते हैं जो वास्तव में इन समस्याओं को जन्म दे रहे हैं—जैसे कि अत्यधिक कार्य संस्कृति, जलवायु परिवर्तन का तनाव, और आर्थिक अनिश्चितता। इस घोषणा का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि यह संरचनात्मक समस्याओं को संबोधित करने से बचती है और व्यक्तिगत 'उपचार' पर ध्यान केंद्रित करती है। (अधिक जानकारी के लिए, आप विश्व स्वास्थ्य संगठन की आधिकारिक रिपोर्ट देख सकते हैं: WHO)।
भविष्य की भविष्यवाणी: अगला कदम क्या होगा?
मेरा बोल्ड अनुमान यह है: अगले पाँच वर्षों में, हम 'मानसिक स्वास्थ्य साक्षरता' अभियानों में भारी वृद्धि देखेंगे, लेकिन जमीनी स्तर पर अस्पतालों और क्लीनिकों की संख्या में नाममात्र की वृद्धि होगी। सरकारें प्रौद्योगिकी (टेली-हेल्थ) पर अधिक निर्भर होंगी, जो लागत प्रभावी है लेकिन मानव स्पर्श को खत्म कर देती है। यह घोषणा अनिवार्य रूप से 'डिजिटल मानसिक स्वास्थ्य समाधानों' में बड़े निवेश का द्वार खोलेगी, जहाँ डेटा एकत्र करना और बड़ी कंपनियों का प्रभाव और बढ़ेगा। यह एक ऐसा भविष्य है जहाँ आपकी भावनात्मक भलाई आपके स्मार्टफोन ऐप पर निर्भर करेगी, न कि आपके स्थानीय समुदाय पर।
यह सिर्फ एक घोषणा नहीं है; यह वैश्विक स्वास्थ्य एजेंडे के एक नए चरण की शुरुआत है, और हमें इसके हर शब्द और हर अनदेखी प्रतिबद्धता पर सवाल उठाना होगा।