हुक: क्या कागज़ पर लिखी नीतियां ज़मीनी हकीकत बदल सकती हैं?
अफ्रीका के पर्यावरण क्षितिज पर एक नया शब्द गूंज रहा है: कैम्पाला घोषणा (Kampala Declaration)। हाल ही में, एक 'पॉलिसी प्लेबुक' जारी की गई है, जिसे इस घोषणा को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए 'नुस्खे' (Recipes) बताया जा रहा है। लेकिन एक अनुभवी पत्रकार के रूप में, मैं पूछता हूँ: क्या ये 'नुस्खे' वास्तव में जलवायु परिवर्तन और भूमि क्षरण के खिलाफ जंग जीतने की कुंजी हैं, या ये केवल एक और नौकरशाही कवायद हैं जो कागज़ पर शानदार दिखती है?
यह लेख केवल एक रिपोर्ट नहीं है; यह एक चीर-फाड़ करने वाला विश्लेषण है। हम उन 'नुस्खों' की परतें उधेड़ेंगे और यह देखेंगे कि इस प्रक्रिया में असली विजेता और हारने वाले कौन हैं। हमारा मुख्य फोकस **भूमि क्षरण नियंत्रण** (Land Degradation Control) और **सतत विकास** (Sustainable Development) पर रहेगा, क्योंकि ये ही इस घोषणा के केंद्र में हैं। कुंजी शब्द हैं: कैम्पाला घोषणा, भूमि क्षरण नियंत्रण, और अफ्रीकी जलवायु नीति।
मांस: 'नुस्खे' की अनदेखी सच्चाई
यह प्लेबुक, जो संभवतः संयुक्त राष्ट्र या किसी बड़ी विकास एजेंसी की फंडिंग से बनी है, कार्यान्वयन के लिए चरण-दर-चरण मार्गदर्शिकाएँ प्रदान करती है। यह अच्छा लगता है। लेकिन यहाँ अनकहा सच है: कार्यान्वयन की विफलता हमेशा क्षमता की कमी नहीं होती, बल्कि राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी होती है।
जब हम 'नुस्खों' की बात करते हैं, तो हम अक्सर स्थानीय समुदायों की आवाज को भूल जाते हैं। क्या ये प्लेबुक उन छोटे किसानों की वास्तविक चुनौतियों को समझती हैं जो अपनी आजीविका के लिए जंगल काटते हैं? या क्या वे केवल बड़े पैमाने पर, शीर्ष-डाउन (Top-Down) समाधानों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो अंतरराष्ट्रीय दानदाताओं को खुश करते हैं?
असली चुनौती डेटा संग्रह, निगरानी और जवाबदेही में निहित है। कई अफ्रीकी राष्ट्रों में, पर्यावरणीय डेटा अपर्याप्त है। यदि आपके पास सटीक आधार रेखा (Baseline) नहीं है, तो 'सफलता' का मापन कैसे होगा? यह प्लेबुक शायद फंडिंग प्राप्त करने के लिए सुंदर चार्ट पेश करेगी, लेकिन क्या इसमें स्थानीय निगरानी तंत्र (Local Monitoring Mechanisms) को सशक्त बनाने के लिए पर्याप्त संसाधन आवंटित किए गए हैं? मुझे संदेह है।
यह क्यों मायने रखता है: भू-राजनीतिक दांव
कैम्पाला घोषणा केवल पर्यावरण के बारे में नहीं है; यह अफ्रीका के संसाधनों पर नियंत्रण के बारे में है। भूमि क्षरण नियंत्रण का सफल कार्यान्वयन सीधे तौर पर खाद्य सुरक्षा और आंतरिक स्थिरता को प्रभावित करता है। जो देश इसे प्रभावी ढंग से लागू करते हैं, वे जलवायु वित्त (Climate Finance) के लिए अधिक आकर्षक बन जाते हैं। यह एक भू-राजनीतिक खेल है। पश्चिमी देश और चीन दोनों ही अफ्रीका में स्थिरता चाहते हैं, लेकिन उनके हित अलग-अलग हैं।
इस प्लेबुक के समर्थक—संभवतः वे संगठन जिन्होंने इसे लिखा है—'सफलता' की परिभाषा तय कर रहे हैं। यदि वे सफल होते हैं, तो वे भविष्य की सभी पर्यावरणीय पहलों के लिए मानक स्थापित करेंगे। यदि यह विफल होता है, तो यह केवल यह साबित करेगा कि 'बाहरी' समाधान अफ्रीका की जटिलताओं के लिए काम नहीं करते हैं। यह अफ्रीकी जलवायु नीति के भविष्य के लिए एक निर्णायक क्षण है। अधिक जानने के लिए, आप संयुक्त राष्ट्र की सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) की आधिकारिक प्रगति रिपोर्ट देख सकते हैं [https://sdgs.un.org/goals] ।
आगे क्या होगा?: भविष्य की भविष्यवाणी
मेरी भविष्यवाणी स्पष्ट है: यह प्लेबुक पहले 3 वर्षों में मिश्रित परिणाम देगी, लेकिन बड़े पैमाने पर विफलता की ओर बढ़ेगी जब तक कि राजनीतिक नेतृत्व में एक बड़ा बदलाव नहीं आता।
क्यों? क्योंकि प्लेबुक 'क्या' करना है, यह बताएगी, लेकिन 'कौन' इसे लागू करने के लिए जवाबदेह होगा, इस पर अस्पष्ट रहेगी। स्थानीय भ्रष्टाचार और संसाधनों का विचलन (Diversion) इन 'नुस्खों' को खोखला कर देगा। असली सफलता तब मिलेगी जब स्थानीय सरकारें, पारंपरिक नेता और किसान समूह इस प्रक्रिया को 'बाहरी एजेंडा' के बजाय 'अपनी संपत्ति की सुरक्षा' के रूप में देखेंगे। जब तक कैम्पाला घोषणा नौकरशाहों के लिए एक चेकलिस्ट बनी रहती है, तब तक भूमि क्षरण नियंत्रण एक सपना बना रहेगा। वास्तविक परिवर्तन के लिए, हमें अंतर्राष्ट्रीय समझौतों की पारदर्शिता पर भी ध्यान देना होगा, जैसा कि विश्व बैंक की रिपोर्टें अक्सर उजागर करती हैं [https://www.worldbank.org] ।
सतत विकास की यात्रा कठिन है। यह समझने के लिए कि इस तरह के समझौते अंतरराष्ट्रीय मंच पर कैसे काम करते हैं, आप यूरोपीय संघ की जलवायु नीतियों का अवलोकन कर सकते हैं [https://ec.europa.eu/clima/index_en] ।