राजकुमारी काको की मुलाकात: क्या यह सिर्फ दिखावा है? सामाजिक बदलाव का छिपा हुआ एजेंडा
जापान की राजकुमारी काको हाल ही में उन युवा महिलाओं से मिलीं जो देश के ज्वलंत सामाजिक मुद्दों (Social Issues) से जूझ रही हैं। सतह पर, यह एक प्रेरणादायक कहानी लगती है—शाही परिवार का जमीनी स्तर पर समर्थन। लेकिन एक खोजी पत्रकार के रूप में, हमें पूछना होगा: आखिर इस दिखावे के पीछे कौन जीत रहा है? यह सिर्फ दिखावा है या शाही परिवार जापान की सामाजिक संरचना (Japan Social Structure) में किसी बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है?
अखबारों ने इसे 'सकारात्मक जुड़ाव' बताया है। लेकिन असली खेल अलग है। जापान एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहाँ लैंगिक असमानता और युवा बेरोजगारी जैसे मुद्दे उसकी आर्थिक रीढ़ को कमजोर कर रहे हैं। जब राजकुमारी जैसी उच्च पदस्थ हस्ती इन मुद्दों पर बात करती है, तो यह सरकार पर एक सूक्ष्म दबाव बनाता है। यह दबाव इतना धीमा होता है कि इसे विरोध नहीं कहा जा सकता, लेकिन यह इतना प्रभावी होता है कि इसे नज़रअंदाज़ भी नहीं किया जा सकता। यह युवा सशक्तिकरण (Youth Empowerment) की आड़ में सत्ता का एक नियंत्रित प्रदर्शन है।
असली खेल: 'आदर्श' नारीवाद की सीमाएँ
राजकुमारी काको का हस्तक्षेप, हालांकि सराहनीय है, एक बहुत ही नियंत्रित दायरे में आता है। वह उन महिलाओं से मिल रही हैं जो 'स्वीकार्य' सीमाओं के भीतर रहकर सामाजिक सुधार की बात कर रही हैं। यह उन कट्टरपंथी आवाज़ों को दरकिनार करने का एक तरीका है जो सीधे तौर पर शाही व्यवस्था या पुरानी कॉर्पोरेट संस्कृति पर सवाल उठाती हैं। यह एक तरह का 'सेफ्टी वाल्व' है। समस्या यह नहीं है कि वे मदद कर रही हैं; समस्या यह है कि वे केवल उस मदद की अनुमति दे रही हैं जो यथास्थिति को चुनौती न दे। क्या यह वाकई जापान की सामाजिक समस्याओं (Japan's Social Problems) का समाधान है, या सिर्फ उन्हें शांत करने का एक शाही तरीका?
हमें यह भी देखना होगा कि इस मुलाकात से किसे राजनीतिक लाभ मिलता है। शाही परिवार की लोकप्रियता बनाए रखना हमेशा एक प्राथमिकता रही है। जनता को यह महसूस कराना कि 'हम आपके साथ हैं' उनकी प्रासंगिकता को बनाए रखता है, खासकर जब जापान में राजशाही के भविष्य पर बहस धीमी गति से ही सही, लेकिन चल रही है। यह एक पीआर मास्टरस्ट्रोक है, जो शाही परिवार को आधुनिक और प्रगतिशील दिखाता है, भले ही उनकी संस्थागत शक्ति सदियों पुरानी हो।
भविष्य की भविष्यवाणी: आगे क्या होगा?
मेरा मानना है कि हम आने वाले वर्षों में शाही परिवार की ओर से सामाजिक पहल में और अधिक 'रणनीतिक' भागीदारी देखेंगे। यह भागीदारी तब तक जारी रहेगी जब तक कि यह सरकार को वास्तविक, कठिन सुधार करने से विचलित करती रहेगी। भविष्य में, ये मुलाकातें और अधिक प्रचारित होंगी, जिससे यह भ्रम पैदा होगा कि समस्याएँ हल हो रही हैं, जबकि मूलभूत संरचनात्मक परिवर्तन—जैसे कि कार्यस्थल में कठोर घंटे कम करना या पितृत्व अवकाश को अनिवार्य बनाना—टाल दिए जाएंगे। यह एक तरह का 'सामाजिक डोपिंग' है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि यह सिर्फ एक सतही घटना न रहे, हमें मांग करनी होगी कि शाही संरक्षण के बाद जमीनी स्तर पर दीर्घकालिक नीतियां बनें। जब तक युवा महिलाओं को केवल प्रेरणा नहीं, बल्कि वास्तविक विधायी शक्ति मिलती है, तब तक यह मुलाकात इतिहास के पन्नों में एक सुंदर लेकिन खोखली घटना बनकर रह जाएगी।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए, आप जापान की लैंगिक असमानता पर रॉयटर्स की रिपोर्ट देख सकते हैं।