WorldNews.Forum

शिवकुमार का 'अयप्पा गान': मनोरंजन नहीं, यह दक्षिण का नया राजनीतिक समीकरण है जिसकी आहट आपने नहीं सुनी!

By Ananya Joshi • December 15, 2025

शिवकुमार का 'अयप्पा गान': मनोरंजन नहीं, यह दक्षिण का नया राजनीतिक समीकरण है जिसकी आहट आपने नहीं सुनी!

जब कन्नड़ सुपरस्टार **शिवराजकुमार (Shivarajkumar)** जैसे सितारे भक्ति संगीत के क्षेत्र में कदम रखते हैं, तो मीडिया इसे केवल 'मनोरंजन समाचार' कहकर खारिज कर देती है। लेकिन, यह एक गहरी रणनीतिक चाल है। हाल ही में शिवकुमार द्वारा गाए गए अयप्पा भक्ति गीत ‘तत्त्वमसिऐ अयप्पा’ (Tatvamasiye Ayyappa) को हल्के में लेना, दक्षिण भारतीय सिनेमा और राजनीति के बदलते समीकरणों को नज़रअंदाज़ करना है। यह सिर्फ एक गाना नहीं है; यह सांस्कृतिक शक्ति का प्रदर्शन है, और इसका सीधा असर आने वाले चुनावों पर पड़ सकता है।

अनकहा सच: सिनेमाई प्रभुत्व से धार्मिक ध्रुवीकरण तक

शिवराजकुमार, जिन्हें कर्नाटक में 'भाईजान' के नाम से जाना जाता है, एक ऐसी विरासत के वाहक हैं जो सीधे तौर पर द्रविड़ राजनीति के केंद्र में रही है। उनका यह कदम केवल व्यक्तिगत आस्था का प्रदर्शन नहीं है। यह एक सधा हुआ प्रयास है जिससे वह अपने विशाल फैन बेस के एक महत्वपूर्ण हिस्से—धार्मिक रूप से मुखर हिंदू मतदाता—को भावनात्मक रूप से साध सकें। **कर्नाटक की राजनीति** में धार्मिक पहचान हमेशा से एक शक्तिशाली हथियार रही है।

विरोधी खेमा इसे धार्मिक अपील के रूप में देखेगा, लेकिन असली जीत उस सांस्कृतिक पूंजी को मजबूत करने में है जो कन्नड़ सिनेमा दशकों से बना रहा है। यह एक ऐसा 'सॉफ्ट पावर' मूव है जो सीधे तौर पर किसी राजनीतिक दल का नाम लिए बिना, एक विशेष मतदाता वर्ग को संदेश देता है। यह 'देवता का आशीर्वाद' दिखाकर, राजनीति में अपनी स्वीकार्यता को और गहरा करने की कोशिश है। इसे केवल एक **मनोरंजन** घटना मानना भोलापन होगा।

गहन विश्लेषण: क्यों यह गाना 'तत्त्वमसिऐ' इतना महत्वपूर्ण है?

'तत्त्वमसिऐ' (Tat Tvam Asi) महावाक्य का अर्थ है 'तुम वही हो'। अयप्पा पूजा में इसका गहरा दार्शनिक महत्व है। जब एक सार्वजनिक हस्ती इस उच्च दर्शन को लोकप्रिय संगीत के माध्यम से प्रसारित करती है, तो यह जनमानस पर एक स्थायी छाप छोड़ता है। **अयप्पा भक्ति** की लहर दक्षिण भारत में एक विशिष्ट जनसांख्यिकी को आकर्षित करती है, जिसे पारंपरिक रूप से मजबूत राजनीतिक चेतना वाला माना जाता है।

इस गाने की रिलीज का समय भी महत्वपूर्ण है। यह तब आया है जब क्षेत्रीय पहचान और भाषाई अस्मिता को लेकर बहस तेज है। शिवकुमार, जो स्वयं एक राजनीतिक परिवार से आते हैं, इस माध्यम का उपयोग करके यह दर्शा रहे हैं कि उनका प्रभाव सिर्फ सिल्वर स्क्रीन तक सीमित नहीं है, बल्कि वे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक नेतृत्व भी प्रदान कर सकते हैं। यह 'स्टार पावर' को 'आध्यात्मिक अधिकार' में बदलने की क्लासिक रणनीति है। यह रणनीति अक्सर **भारतीय सिनेमा** के दिग्गजों द्वारा अपनाई गई है, लेकिन शिवराजकुमार इसे एक नए सांस्कृतिक आयाम पर ले जा रहे हैं।

भविष्य की भविष्यवाणी: आगे क्या होगा?

मेरा मानना है कि इस गाने की सफलता के बाद, हम देखेंगे कि अन्य क्षेत्रीय सुपरस्टार भी इसी तरह के सांस्कृतिक या धार्मिक प्रतीकों का उपयोग करना शुरू कर देंगे। यह एक नई प्रवृत्ति को जन्म देगा जहां मनोरंजन उद्योग की हस्तियां सक्रिय रूप से धार्मिक या सांस्कृतिक प्रतीकों का उपयोग करके अपनी राजनीतिक पूंजी बढ़ाएंगी। **शिवराजकुमार** इस पैटर्न को स्थापित करने वाले अग्रणी बन सकते हैं। अगले कुछ महीनों में, उनके सार्वजनिक बयानों में और अधिक आध्यात्मिक विषयों का समावेश देखने को मिल सकता है, जिसका उद्देश्य एक व्यापक 'नैतिक नेतृत्व' की छवि बनाना होगा। यह ट्रेंड सिर्फ कर्नाटक तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे दक्षिण भारत में अन्य अभिनेताओं द्वारा दोहराया जाएगा।

---

अतिरिक्त संदर्भ: अयप्पा पूजा और सबरीमाला आंदोलन का इतिहास जटिल रहा है, जिसे आप रॉयटर्स जैसे विश्वसनीय स्रोतों पर देख सकते हैं, जो धार्मिक आंदोलनों के सामाजिक प्रभाव को दर्शाते हैं।