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संगीत समारोहों का काला सच: आपके 'स्टाइल' से किसे सबसे ज़्यादा फ़ायदा हो रहा है? (विश्लेषण)

By Kiara Banerjee • December 12, 2025

संगीत समारोहों (Music Festivals) की चकाचौंध भरी दुनिया में, जहां हर कोई अपनी 'अद्वितीय शैली' का प्रदर्शन करने आता है, एक अनकहा सच छिपा है। यह सिर्फ़ संगीत का उत्सव नहीं है; यह उपभोक्तावाद (Consumerism) का सबसे बड़ा वार्षिक मेला है। जब हम फेस्टिवल फैशन की बात करते हैं, तो हम वास्तव में बड़े ब्रांडों के मार्केटिंग अभियानों की बात कर रहे होते हैं। यह लेख आपको दिखाएगा कि इस चमक-दमक के पीछे कौन सी आर्थिक ताकतें काम कर रही हैं।

हाल ही में, संगीत लेखकों और प्रभावशाली लोगों द्वारा साझा की गई 'आवश्यक वस्तुओं' की सूची, जैसे कि किसी विशेष ब्रांड के जूते या सनग्लासेस, सतही लगती है। लेकिन गहराई से देखने पर, यह एक सोची-समझी रणनीति है। संगीत संस्कृति अब केवल कलात्मक अभिव्यक्ति नहीं रही; यह एक बिकने वाला उत्पाद बन चुकी है।

द अनस्पोकन ट्रुथ: असली विजेता कौन?

जो चीज़ें 'ज़रूरी' बताई जाती हैं—चाहे वह विशिष्ट ब्रांड की एक्सेसरी हो या एक खास तरह का बैकपैक—वे अक्सर उन कंपनियों द्वारा प्रायोजित होती हैं जिनका संगीत से सीधा संबंध नहीं है। असली विजेता संगीतकार या दर्शक नहीं हैं। असली विजेता हैं फास्ट फैशन (Fast Fashion) उद्योग और लक्जरी सहायक उपकरण (Luxury Accessories) बनाने वाली कंपनियाँ।

एक संगीत समारोह में, जहाँ सुरक्षा और व्यावहारिकता सर्वोपरि होनी चाहिए, 'स्टाइल' को प्राथमिकता दी जाती है। यह एक ऐसा चक्र है जहाँ ब्रांड्स पत्रकारों और इन्फ्लुएंसर्स को मुफ्त उत्पाद देते हैं ताकि वे उन्हें 'आवश्यक' के रूप में पेश करें। यह एक छिपा हुआ विज्ञापन है, जो दर्शकों को यह विश्वास दिलाता है कि सही 'लुक' के बिना, अनुभव अधूरा है। क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों हर कोई एक ही तरह के भड़कीले कपड़े पहने हुए दिखता है? क्योंकि उन्हें यही बताया गया है कि 'ट्रेंडी' क्या है।

गहन विश्लेषण: संस्कृति का बाज़ारीकरण

यह सिर्फ़ कपड़ों की बात नहीं है। यह संगीत पर्यटन (Music Tourism) की बढ़ती अर्थशास्त्र पर भी लागू होता है। बड़े त्योहार अब क्षेत्रीय आयोजन नहीं रहे; वे विशाल कॉर्पोरेट उद्यम बन गए हैं। टिकट की कीमतें आसमान छू रही हैं, और हर कोने पर मर्चेंडाइजिंग और प्रीमियम अनुभव बेचे जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, कोचेला (Coachella) जैसी जगहों पर, अनुभव का एक बड़ा हिस्सा 'दिखावे' पर केंद्रित हो गया है, न कि संगीत पर।

यह घटना ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है क्योंकि यह कला के लोकतंत्रीकरण (Democratization of Art) के विपरीत जाती है। पहले, विद्रोह और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति संगीत का मूल थी। अब, व्यक्तिगत अभिव्यक्ति भी एक मानकीकृत पैकेज के रूप में बेची जा रही है। यदि आप इंडिपेंडेंट संगीत की तलाश में हैं, तो आपको प्रायोजित ब्रांडों के बीच रास्ता खोजना होगा। यह एक सांस्कृतिक अवरोध है। आप वास्तविक संगीत समारोह अनुभव के लिए भुगतान नहीं कर रहे हैं; आप एक सोशल मीडिया पोस्ट के लिए भुगतान कर रहे हैं।

आगे क्या होगा? भविष्य की भविष्यवाणी

अगले पाँच वर्षों में, हम देखेंगे कि संगीत समारोहों में 'स्थिरता' और 'नैतिक सोर्सिंग' (Ethical Sourcing) के नाम पर ब्रांडिंग और भी गहरी होगी। छोटे, अधिक 'प्रामाणिक' महसूस कराने वाले त्योहारों को बड़े कॉर्पोरेट समूह खरीद लेंगे, जो 'विपरीत' (Contrarian) दिखने का नाटक करेंगे, लेकिन वास्तव में वे उसी फास्ट फैशन मॉडल को बढ़ावा देंगे, बस थोड़े अलग रंगों में। संगीत पत्रकारिता और भी अधिक प्रायोजित होती जाएगी, जिससे आलोचनात्मक आवाज़ें दब जाएंगी। असली बदलाव तब आएगा जब दर्शक सक्रिय रूप से इन ब्रांडेड अपेक्षाओं को अस्वीकार कर देंगे और सादगी को एक फैशन स्टेटमेंट बना देंगे।

छवियाँ:

(संदर्भ के लिए, संगीत उद्योग के आर्थिक प्रभाव को समझने के लिए आप रॉयटर्स पर उद्योग रिपोर्ट देख सकते हैं।)