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सड़कें जाम करने वाले बेवकूफ हैं? जलवायु सक्रियता का असली 'डर्टी सीक्रेट' जो कोई नहीं बताएगा

By Riya Bhatia • December 15, 2025

जलवायु सक्रियता: शोर बनाम असर – अनकहा सच

क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों कुछ जलवायु सक्रियता (Climate Activism) के तरीके, जैसे सड़कों को जाम करना या इमारतों पर गोंद लगाना, अचानक इतने लोकप्रिय हो गए हैं? यह सिर्फ गुस्से का विस्फोट नहीं है। यह एक सोची-समझी रणनीति है, और इसका असली लक्ष्य शायद वो नहीं है जो आपको लगता है। हम सब जानते हैं कि जलवायु परिवर्तन एक गंभीर संकट है, लेकिन जब कार्यकर्ता मुख्यधारा की मीडिया का ध्यान खींचने के लिए चरमपंथ का सहारा लेते हैं, तो हमें पूछना होगा: इस शोर से किसे फायदा हो रहा है? यह लेख केवल विरोध प्रदर्शनों की आलोचना नहीं करता; यह उस **राजनीतिक रणनीति** का विश्लेषण करता है जो इन प्रदर्शनों के पीछे काम कर रही है।

असली विजेता कौन है? – 'चरमपंथी ध्रुवीकरण' का सिद्धांत

विरोध प्रदर्शनों का मूल उद्देश्य नीति निर्माताओं पर दबाव डालना होता है। लेकिन जब कार्यकर्ता खुद को इतना चरमपंथी दिखाते हैं कि आम जनता उनसे दूर भागने लगे, तो पर्दे के पीछे एक सूक्ष्म खेल खेला जाता है। **'चरमपंथी ध्रुवीकरण' (Radical Polarization)** का सिद्धांत कहता है कि जब एक चरमपंथी छोर दिखाई देता है, तो मध्यम मार्ग (यानी सरकार) खुद को अधिक 'उदार' और 'समझौतावादी' दिखाने लगता है, भले ही उसकी नीतियां वास्तव में कठोर ही क्यों न हों। जो लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं, वे अनजाने में उन मध्यममार्गी राजनेताओं के लिए राजनीतिक जगह बना रहे हैं जो वास्तव में बड़े कॉर्पोरेट हितों के साथ समझौता करने को तैयार हैं। वे 'खलनायक' बनते हैं ताकि सरकार 'नायक' बन सके। यह क्लासिक 'गुड कॉप, बैड कॉप' रणनीति का एक उन्नत संस्करण है, जिसे हमने पहले भी इतिहास में देखा है।

आर्थिक लागत और मीडिया का एजेंडा

सड़कें जाम होने से होने वाला आर्थिक नुकसान, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है, वास्तविक होता है। छोटे व्यवसायों और आम नागरिकों को सबसे ज़्यादा परेशानी होती है, जबकि बड़े निगमों पर इसका न्यूनतम असर पड़ता है। यह विरोध प्रदर्शन एक तरह से **मीडिया कवरेज** खरीदने का महंगा तरीका बन गया है। मीडिया इन नाटकीय दृश्यों को पसंद करता है – गोंद, पेंट, गिरफ्तारी। यह सामग्री है। लेकिन क्या वे उन शांत, प्रभावी लॉबिंग अभियानों या जमीनी स्तर के तकनीकी नवाचारों को कवर करते हैं जो वास्तव में बदलाव ला सकते हैं? नहीं। क्योंकि वे नाटकीय नहीं हैं। यह मीडिया का ध्यान भटकाने वाला एक शानदार प्रदर्शन है, जो वास्तविक, कठिन और धीमी गति से होने वाले नीतिगत परिवर्तनों से ध्यान हटाता है।

भविष्य का अनुमान: 'सक्रियता का औद्योगिकीकरण'

आगे क्या होगा? मेरा मानना है कि हम **'सक्रियता का औद्योगिकीकरण' (Industrialization of Activism)** देखेंगे। बड़े NGO और फंडिंग निकाय इन 'हाई-विजिबिलिटी' विरोध प्रदर्शनों को फंड करना जारी रखेंगे क्योंकि वे सबसे ज़्यादा सुर्खियाँ बटोरते हैं। लेकिन, इसके समानांतर, एक अंडरग्राउंड मूवमेंट जन्म लेगा जो पूरी तरह से तकनीकी समाधानों और स्थानीय सामुदायिक लचीलेपन पर केंद्रित होगा। यह नया आंदोलन सड़क पर नहीं, बल्कि कोड और सामुदायिक ग्रिड में लड़ेगा। सड़क प्रदर्शन एक 'स्टंट' बन जाएगा, जबकि असली लड़ाई अदृश्य रूप से लड़ी जाएगी। जो लोग गोंद लगाकर समय बर्बाद कर रहे हैं, वे इतिहास में बस एक फुटनोट बनकर रह जाएंगे, जबकि वे लोग जो वास्तविक, अपरिवर्तनीय तकनीकी बदलाव लाएंगे, वे असली विजेता होंगे।

हमें यह समझना होगा कि विरोध प्रदर्शन केवल अभिव्यक्ति नहीं, बल्कि एक उपकरण है। और हर उपकरण का एक गलत इस्तेमाल होता है। असली **जलवायु सक्रियता** वह है जो आपको गिरफ्तार नहीं करवाती, बल्कि आपके जीने के तरीके को स्थायी रूप से बदल देती है।