सनंदा झील: अचानक चमकता सितारा, या एक अस्थिर बुलबुला?
मौलवीबाजार की शांत भूमि पर, सनंदा झील अचानक चर्चा का केंद्र बन गई है। कारण? पानी में फैली लाल जलकुंभी (Red Water Lilies) का अविश्वसनीय दृश्य। यह दृश्य, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, स्थानीय पर्यटन (Tourism) के लिए एक वरदान की तरह लग सकता है। लेकिन एक अनुभवी पत्रकार के रूप में, मैं आपसे पूछता हूँ: इस अचानक आई लोकप्रियता के पीछे की **अनकही सच्चाई** क्या है? क्या यह प्रकृति का उपहार है, या एक ऐसी आपदा की शुरुआत, जिसे हमने पर्यटन की आड़ में गले लगा लिया है?
फिलहाल, हर कोई इस 'रेड वॉटर' चमत्कार को देखने आ रहा है। यह तेजी से एक नया **पर्यटन हॉटस्पॉट** बन गया है। लेकिन इस भीड़ का असली विजेता कौन है? स्थानीय मछुआरे, जो शायद अपनी रोजी-रोटी के लिए संघर्ष कर रहे थे, अब पर्यटकों के जूते तले दब रहे हैं। या वे बिचौलिए, जो बिना किसी स्थायी निवेश के, प्रकृति के इस क्षणभंगुर प्रदर्शन का व्यवसायीकरण कर रहे हैं? यह सिर्फ एक सुंदर तस्वीर नहीं है; यह बांग्लादेश के अस्थिर **टिकाऊ पर्यटन** (Sustainable Tourism) मॉडल पर एक कठोर सवाल है। हमने देखा है कि कैसे अन्य प्राकृतिक चमत्कार, जैसे कि कॉक्स बाजार (Cox's Bazar), अत्यधिक भीड़भाड़ और प्रदूषण के कारण दम तोड़ रहे हैं। सनंदा झील भी उसी रास्ते पर चल रही है, बस अभी शुरुआत हुई है।
गहराई से विश्लेषण: लाल रंग किसका खून है?
यह समझना महत्वपूर्ण है कि ये लाल जलकुंभी वास्तव में क्या हैं। ये अक्सर शैवाल प्रस्फुटन (Algal Bloom) या किसी विशेष प्रजाति का अत्यधिक विकास दर्शाते हैं। **पर्यटन** की भाषा में, इसे 'अद्वितीयता' कहा जाता है। वास्तविकता में, पारिस्थितिकी (Ecology) में, यह पानी की गुणवत्ता में गंभीर असंतुलन का संकेत हो सकता है। क्या हमने पानी की रासायनिक संरचना की जांच की है? शायद नहीं। क्योंकि जांच रिपोर्टें टिकट की बिक्री को धीमा कर देती हैं। स्थानीय प्रशासन, जो राजस्व वृद्धि को प्राथमिकता देता है, इस नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को नजरअंदाज कर रहा है। यह एक क्लासिक मामला है जहाँ **अल्पकालिक लाभ** दीर्घकालिक पर्यावरणीय विनाश को जन्म देता है। यह केवल मौलवीबाजार की बात नहीं है; यह वैश्विक पर्यटन की विफलता का एक छोटा सा नमूना है। National Geographic जैसी संस्थाएँ अक्सर ऐसी घटनाओं के पर्यावरणीय परिणामों पर प्रकाश डालती हैं, लेकिन जमीन पर कार्रवाई शून्य होती है।
आगे क्या होगा? मेरी बोल्ड भविष्यवाणी
अगले 18 महीनों में, सनंदा झील का 'जादू' खत्म हो जाएगा। दो चीजें होंगी: या तो स्थानीय सरकार, भारी विरोध के बाद, कृत्रिम रूप से इन लिली को हटाने की कोशिश करेगी, जिससे पानी का संतुलन पूरी तरह बिगड़ जाएगा, या फिर लिली का प्राकृतिक चक्र समाप्त हो जाएगा और झील फिर से नीरस हो जाएगी। लेकिन तब तक, अनियोजित निर्माण, कचरा और स्थानीय संसाधनों पर अत्यधिक दबाव पड़ चुका होगा। **टिकाऊ पर्यटन** का नारा सिर्फ कागज़ों पर रहेगा। मेरा मानना है कि यह झील 2026 के अंत तक एक 'ओवर-टूरिस्टेड' और 'अंडर-मैनेज्ड' क्षेत्र के रूप में पहचानी जाएगी, जिसका पुनर्वास (Rehabilitation) करना महंगा और कठिन होगा। हमें यह समझना होगा कि प्राकृतिक सुंदरता एक सीमित संसाधन है, न कि अंतहीन कमाई का जरिया।
यह संकट हमें सिखाता है कि जब भी कोई नई प्राकृतिक जगह **पर्यटन** के नक्शे पर आती है, तो हमें तुरंत 'विकास' पर नहीं, बल्कि 'संरक्षण' पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। क्या मौलवीबाजार इस गलती को दोहराएगा?