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स्ट्राइप का 'टेम्पो' ब्लॉकचेन: मास्टरकार्ड और यूबीएस का असली दांव क्या है? (अनकहा सच)

By Aarav Kumar • December 10, 2025

क्या आप सच में मानते हैं कि यह सिर्फ एक और ब्लॉकचेन लॉन्च है? भूल जाइए। जब पेमेंट दिग्गज स्ट्राइप (Stripe) अपनी खुद की पेमेंट लेयर, जिसे 'टेम्पो' (Tempo) कहा जा रहा है, को सार्वजनिक करता है, और उसमें मास्टरकार्ड (Mastercard) तथा यूबीएस (UBS) जैसे दिग्गज चुपचाप शामिल हो जाते हैं, तो यह खबर नहीं, यह वित्तीय क्रांति का पूर्वाभ्यास है। यह लेख आपको बताएगा कि इस तकनीकी छलावरण के पीछे असली शक्ति संतुलन कैसे बदल रहा है।

द हुक: यह सिर्फ 'क्रिप्टो' नहीं है, यह 'नियंत्रण' है

जब भी कोई बड़ी वित्तीय संस्था ब्लॉकचेन तकनीक की बात करती है, तो आम जनता उत्साहित हो जाती है कि 'विकेंद्रीकरण' आ रहा है। लेकिन स्ट्राइप का टेम्पो इस नैरेटिव को ध्वस्त करता है। यह पब्लिक नेटवर्क पर चल रहा है, हाँ, लेकिन यह एक 'परमिटेड' (अनुमति प्राप्त) ब्लॉकचेन है। सवाल यह है: स्ट्राइप, जो खुद एक भुगतान गेटवे है, क्यों एक ऐसा इंफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है जो सीधे तौर पर मौजूदा SWIFT सिस्टम को चुनौती दे सकता है? इसका सीधा जवाब है: नियंत्रण (Control)। यह विकेंद्रीकरण का ढोंग रचकर केंद्रीकृत शक्ति को और मजबूत करने की सबसे बड़ी चाल है।

द मीट: मास्टरकार्ड और यूबीएस क्यों शामिल हुए?

मास्टरकार्ड और यूबीएस का सहयोग सिर्फ 'परीक्षण' नहीं है। वे समझते हैं कि क्रॉस-बॉर्डर भुगतान (Cross-Border Payments) में लगने वाला समय और लागत मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण अस्वीकार्य है। लेकिन वे बिटकॉइन या इथेरियम जैसे खुले नेटवर्क पर भरोसा नहीं कर सकते, क्योंकि वहाँ KYC/AML (Know Your Customer/Anti-Money Laundering) नियमों का पालन मुश्किल है। टेम्पो उन्हें वह 'मीठा स्थान' (Sweet Spot) देता है जहाँ वे ब्लॉकचेन की गति का लाभ उठा सकते हैं, लेकिन नियामक अनुपालन (Regulatory Compliance) की जंजीरों में बंधे रह सकते हैं। यह पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करने का एक सुरक्षित, कॉर्पोरेट-नियंत्रित तरीका है। वे खुद को 'डेवलपर्स' के बीच स्थापित कर रहे हैं ताकि भविष्य के वित्तीय मानकों पर उनका एकाधिकार बना रहे।

द अनस्पोकन ट्रुथ: कौन हार रहा है?

इस खेल में सबसे बड़ा हारने वाला कौन है? छोटे बैंक और मध्यस्थ भुगतान प्रोसेसर। यदि बड़े खिलाड़ी जैसे कि यूबीएस और मास्टरकार्ड सीधे ब्लॉकचेन के माध्यम से लेनदेन कर सकते हैं, तो वे उन बिचौलियों को दरकिनार कर देंगे जो आज भी अंतर्राष्ट्रीय लेनदेन का एक बड़ा हिस्सा नियंत्रित करते हैं। यह वित्तीय 'डि-इंटरमीडिएशन' (बिचौलियों को हटाना) है, लेकिन यह विकेंद्रीकरण के नाम पर किया जा रहा है। यह एक नया वित्तीय कुलीन वर्ग (Financial Elite) बना रहा है जो नई तकनीक का उपयोग करके पुरानी व्यवस्था को और कसकर पकड़ लेगा। यह वित्तीय प्रौद्योगिकी (FinTech) का एक डार्क साइड है, जिस पर मीडिया चुप्पी साधे हुए है।

वेयर डू वी गो फ्रॉम हियर? भविष्य की भविष्यवाणी

अगले दो वर्षों में, हम देखेंगे कि टेम्पो जैसे 'परमिटेड' लेयर-1 समाधान नियामक सैंडबॉक्स (Regulatory Sandbox) से बाहर निकलकर मुख्यधारा में प्रवेश करेंगे। मेरी भविष्यवाणी है कि कई बड़े केंद्रीय बैंक (Central Banks) भी अपनी खुद की CBDC (Central Bank Digital Currency) को इन स्ट्राइप-नियंत्रित लेयर्स पर इंटीग्रेट करने की कोशिश करेंगे, ताकि वे गति से समझौता किए बिना मौद्रिक नीति पर पूर्ण नियंत्रण बनाए रख सकें। जो डेवलपर आज टेम्पो पर अपना एप्लिकेशन बनाएगा, वह कल की बैंकिंग प्रणाली का आर्किटेक्ट होगा। यह केवल भुगतान नहीं है; यह अगले दशक की वैश्विक वित्तीय 'भाषा' को परिभाषित करने की लड़ाई है।

मुख्य बातें (Key Takeaways)