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₹16,000 प्रति घंटा: AI मॉडल ट्रेनिंग का यह 'साइड गिग' किसे बर्बाद कर रहा है? सच्चाई जानिए

By Riya Bhatia • December 20, 2025

**हुक: क्या यह अवसर है या बस एक नया डिजिटल दलदल?**

एक 34 वर्षीय उद्यमी का AI मॉडल ट्रेनिंग से प्रति घंटे $200 (लगभग ₹16,000) कमाना सुर्खियां बटोर रहा है। CNBC की यह खबर आज के उद्यमिता (Entrepreneurship) जगत की चमकती हुई सच्चाई लगती है। लेकिन रुकिए। जब भी कोई 'आसान पैसा' या 'साइड गिग' इतना आकर्षक दिखता है, तो हमें पूछना चाहिए: यह पैसा कहाँ से आ रहा है, और सबसे महत्वपूर्ण, यह किसके श्रम को विस्थापित कर रहा है? यह कहानी सिर्फ कमाई की नहीं है; यह श्रम के भविष्य और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) क्रांति के अदृश्य श्रमिकों के बारे में है।

**खबर का विश्लेषण: चमक के पीछे की स्याही**

यह मामला, जहां एक व्यक्ति अपनी 'बौद्धिक जिज्ञासा' के कारण AI को सिखाकर मोटी कमाई कर रहा है, सतही तौर पर शानदार लगता है। यह डिजिटल अर्थव्यवस्था (Digital Economy) की लचीलेपन को दर्शाता है। लेकिन असलियत यह है कि ये $200 प्रति घंटा कमाने वाले लोग वास्तव में 'ट्रेनर' नहीं, बल्कि 'डेटा क्यूरेटर' हैं। वे विशाल AI मॉडलों को मानवीय संदर्भ, नैतिकता और सूक्ष्म बारीकियों को सिखाने के लिए आवश्यक, लेकिन दोहराव वाले, मैन्युअल श्रम प्रदान कर रहे हैं।

असली विजेता कौन है? स्पष्ट रूप से, वे बड़ी टेक कंपनियाँ हैं जो इन मॉडलों को अरबों डॉलर में बेचेंगी। वे आउटसोर्सिंग कर रहे हैं – उच्च-वेतन वाले ज्ञान श्रमिकों के समय को किराए पर ले रहे हैं ताकि उनके AI उत्पाद बाज़ार में उतर सकें। यह एक नया 'गिग वर्क' है, लेकिन यह उबर या स्विगी से कहीं अधिक बौद्धिक रूप से शोषक हो सकता है। यह उच्च-कुशल श्रमिकों को निम्न-मूल्य, दोहराव वाले कार्यों में फंसा रहा है, जो अंततः उन्हीं नौकरियों को स्वचालित करने में मदद करेगा जो वे अभी कर रहे हैं। यह एक दुखद विडंबना है। यह प्रवृत्ति श्रम बाजार को दो हिस्सों में बांट रही है: AI बनाने वाले और AI को खिलाने वाले।

**गहराई से विश्लेषण: उद्यमिता का नया अर्थ**

पारंपरिक उद्यमिता का अर्थ था शून्य से कुछ बनाना। आज, इसका मतलब AI के इकोसिस्टम में सबसे कुशल 'नीश' ढूंढना है। यह व्यक्ति सफल है क्योंकि उसने उस जगह पर कब्जा किया जहां AI की वर्तमान सीमाएं हैं – यानी, मानव-स्तरीय सटीकता की आवश्यकता। लेकिन यह एक अस्थिर मॉडल है। जैसे ही AI अगले स्तर पर पहुंचेगा (मान लीजिए, GPT-5 या उससे आगे), इन 'ट्रेनिंग' नौकरियों की मांग तेजी से गिर जाएगी। यह डिजिटल अर्थव्यवस्था का एक अस्थिर बुलबुला हो सकता है, जो केवल तब तक टिकेगा जब तक AI खुद को पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं बना लेता।

हमें यह समझना होगा कि यह $200 प्रति घंटा एक अस्थायी 'बफर ज़ोन' की आय है। यह वह मूल्य है जो आज तकनीक 'मानव सत्यापन' के लिए चुका रही है। जैसे ही सत्यापन की आवश्यकता कम होगी, यह आय शून्य हो जाएगी। यह उन लोगों के लिए एक चेतावनी है जो इसे स्थायी करियर पथ मान रहे हैं।

**भविष्य की भविष्यवाणी: आगे क्या होगा?**

मेरा मानना है कि अगले 18 महीनों में, हम AI मॉडल ट्रेनिंग के लिए $200/घंटा की दरों में भारी गिरावट देखेंगे। जैसे ही बड़ी कंपनियाँ आंतरिक रूप से इन कार्यों को स्वचालित करने के लिए छोटे, विशिष्ट AI उपकरण विकसित करेंगी, बाहरी ठेकेदारों की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी। इसके बजाय, हम एक नई लहर देखेंगे: 'AI ऑडिटर्स' और 'AI इंटरप्रेटर्स'। ये वे लोग होंगे जो AI के आउटपुट की व्याख्या करेंगे और जटिल कानूनी या नैतिक निर्णयों के लिए जिम्मेदार होंगे। असली पैसा तब बनेगा जब आप AI के 'क्यों' का जवाब दे पाएंगे, न कि केवल उसके 'क्या' को ठीक कर पाएंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भविष्य उन लोगों का है जो सिस्टम को चुनौती देते हैं, न कि उसे प्रशिक्षित करते हैं।

यह दौर हमें याद दिलाता है कि उद्यमिता की परिभाषा लगातार बदल रही है, और नवाचार की गति अब मानव अनुकूलन की गति से तेज है।