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क्रिप्टोकरेंसी नियमन का अदृश्य खेल: कौन जीत रहा है और सरकारें क्यों चुप हैं?

क्रिप्टोकरेंसी नियमन का अदृश्य खेल: कौन जीत रहा है और सरकारें क्यों चुप हैं?

क्रिप्टोकरेंसी नियमन की जटिलता को समझें। सरकारें वास्तव में क्या चाहती हैं और 'विकेंद्रीकरण' का क्या होगा?

मुख्य बिंदु

  • नियमन का असली मकसद विकेंद्रीकरण को कमजोर करना है, न कि निवेशकों की सुरक्षा करना।
  • बड़े वित्तीय संस्थान (Banks) नियमन का उपयोग करके बाजार पर कब्जा कर रहे हैं।
  • भविष्य में, अधिकांश क्रिप्टो लेनदेन नियंत्रित ब्लॉकचेन पर होंगे, न कि पूरी तरह से खुले नेटवर्क पर।
  • CBDCs (केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा) के लिए रास्ता साफ किया जा रहा है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भारत में क्रिप्टोकरेंसी पर नवीनतम नियम क्या हैं?

भारत सरकार अभी भी एक व्यापक कानून लाने की प्रक्रिया में है, लेकिन क्रिप्टो लाभ पर 30% टैक्स और लेनदेन पर TDS (स्रोत पर कर कटौती) लागू है। वे अभी भी इसे संपत्ति मानते हैं, मुद्रा नहीं।

क्रिप्टोकरेंसी नियमन से किसे सबसे ज्यादा फायदा होगा?

सबसे ज्यादा फायदा पारंपरिक वित्तीय संस्थानों (जैसे बड़े बैंक और एसेट मैनेजर) को होगा, जो अब कानूनी ढांचे के तहत क्रिप्टो बाजार में प्रवेश कर सकते हैं, और साथ ही सरकारों को होगा, जो अब इन संपत्तियों पर कर लगा सकती हैं और निगरानी कर सकती हैं।

क्या बिटकॉइन वास्तव में विकेन्द्रीकृत रहेगा?

बिटकॉइन का प्रोटोकॉल विकेन्द्रीकृत रहेगा, लेकिन खनन (Mining) और ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म (Exchanges) अत्यधिक केंद्रीकृत हो गए हैं। जैसे-जैसे ईटीएफ और संस्थागत भागीदारी बढ़ेगी, वास्तविक नियंत्रण कुछ प्रमुख संस्थाओं के हाथों में केंद्रित होता जाएगा।

नियामक जांच का मतलब क्या है कि क्रिप्टो अवैध हो जाएगा?

नहीं, इसका मतलब यह नहीं है कि यह अवैध हो जाएगा। इसका मतलब है कि इसे 'विनियमित संपत्ति' के रूप में माना जाएगा, जिस पर स्टॉक या बॉन्ड की तरह ही नियम लागू होंगे। गुमनामी और बिना अनुमति के लेनदेन मुश्किल हो जाएगा।