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होम/Trending Education PolicyBy Krishna Singh Ishaan Kapoor

शिक्षा का महा-विलय: UGC, AICTE खत्म, लेकिन असली खेल किसके पाले में? जानिए छिपी सच्चाई

शिक्षा का महा-विलय: UGC, AICTE खत्म, लेकिन असली खेल किसके पाले में? जानिए छिपी सच्चाई

केंद्र सरकार ने शिक्षा नियामक ढांचे में बड़ा फेरबदल किया है। UGC, AICTE को हटाकर सिंगल रेगुलेटर क्यों लाया गया? जानिए पूरा विश्लेषण।

मुख्य बिंदु

  • UGC, AICTE, और NCTE को समाप्त कर एकल नियामक (संभवतः HECI/Viksit Bharat Shiksha Adhikshan Bill) बनाया जा रहा है।
  • विश्लेषण बताता है कि यह कदम सत्ता के केंद्रीकरण को मजबूत करेगा, जिससे केंद्र सरकार को शिक्षा पर सीधा नियंत्रण मिलेगा।
  • निजी संस्थानों को लाभ हो सकता है जो तेजी से नियमों का पालन करेंगे, लेकिन अकादमिक स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है।
  • भविष्य में, सरकार समर्थित संस्थानों को प्राथमिकता मिलेगी, जबकि छोटे विश्वविद्यालयों पर अनुपालन का दबाव बढ़ेगा।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

UGC, AICTE और NCTE को क्यों बदला जा रहा है?

इन तीनों संस्थाओं को बदलने का मुख्य कारण नियामक प्रक्रिया को सरल बनाना, लालफीताशाही कम करना और नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत एक एकीकृत दृष्टिकोण लागू करना है।

नए एकल नियामक का नाम क्या होगा?

प्रस्तावित निकाय का नाम उच्च शिक्षा आयोग (Higher Education Commission of India - HECI) या 'विकसित भारत शिक्षा अधिक्षण बिल' के तहत हो सकता है, जो शिक्षा की गुणवत्ता और मानकों पर केंद्रित होगा।

क्या इस बदलाव से विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता कम हो जाएगी?

कई विशेषज्ञ मानते हैं कि सत्ता के केंद्रीकरण के कारण विश्वविद्यालयों की अकादमिक और प्रशासनिक स्वायत्तता पर दबाव बढ़ सकता है, क्योंकि सभी अंतिम निर्णय एक ही संस्था द्वारा लिए जाएंगे।

यह बदलाव कब तक लागू होने की उम्मीद है?

चूंकि कैबिनेट ने बिल को मंजूरी दे दी है, अब इसे संसद के आगामी सत्रों में पारित होने की आवश्यकता है। इसके बाद नियमों के अधिसूचित होने पर यह चरणबद्ध तरीके से लागू होगा।