AI और क्वांटम क्रांति: क्यों 'भारत शक्ति' सिर्फ एक सेमिनार नहीं, बल्कि चीन को मात देने का गुप्त हथियार है?

सह्याद्री कॉलेज में 'भारत शक्ति' संगोष्ठी ने AI और क्वांटम तकनीक पर फोकस किया। जानिए इस नवाचार (innovation) की असली कहानी।
मुख्य बिंदु
- •सह्याद्री संगोष्ठी का वास्तविक उद्देश्य अकादमिक ज्ञान से परे, राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक संप्रभुता को सुरक्षित करना था।
- •भारत की AI सफलता पश्चिमी डेटा पर निर्भरता को कम करने और स्थानीय, विविध डेटासेट का उपयोग करने पर निर्भर करेगी।
- •भविष्य में, सरकार क्वांटम हार्डवेयर के लिए कठोर संरक्षणवादी नीतियां अपना सकती है।
- •असली चुनौती बाहरी प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि रक्षा और निजी नवाचार के बीच समन्वय की कमी को दूर करना है।
हुक: असली खेल क्या है?
जब मंगलुरु के सह्याद्री कॉलेज में 'भारत शक्ति' संगोष्ठी आयोजित होती है, तो मीडिया इसे केवल एक अकादमिक कार्यक्रम के रूप में रिपोर्ट करता है। वे आपको बताते हैं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्वांटम कंप्यूटिंग पर चर्चा हुई। लेकिन यह सतही बात है। **नवाचार (innovation)** की यह लहर सिर्फ छात्रों को प्रेरित करने के लिए नहीं है; यह भारत की भू-राजनीतिक और आर्थिक संप्रभुता को सुरक्षित करने की अंतिम दौड़ है। असली सवाल यह नहीं है कि हमने क्या सीखा, बल्कि यह है कि हम इस तकनीक को कितनी तेजी से सेना और उद्योग में लागू कर सकते हैं।
गोश्त: सेमिनार नहीं, यह एक तकनीकी लामबंदी है
स्रोत बताते हैं कि इस कार्यक्रम में **तकनीकी आत्मनिर्भरता** पर जोर दिया गया। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्तमान वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाएं नाजुक हैं। अमेरिका और चीन के बीच तकनीकी शीत युद्ध चरम पर है। ऐसे में, भारत के लिए यह समझना आवश्यक है कि क्वांटम और AI के क्षेत्र में पीछे रहना यानी भविष्य की महाशक्ति बनने की दौड़ से बाहर हो जाना है। सह्याद्री जैसे संस्थान एक प्रयोगशाला (lab) की तरह काम कर रहे हैं, जहां भविष्य के तकनीकी सिपाही तैयार किए जा रहे हैं।
लेकिन यहां एक अनदेखा सच है: **डेटा का लोकतंत्रीकरण**। जब हम AI की बात करते हैं, तो हम मानते हैं कि बड़ी टेक कंपनियां ही इसे नियंत्रित करेंगी। लेकिन भारत की ताकत उसके विशाल, विविध डेटासेट में निहित है। यदि हम इसे सही ढंग से टैप कर पाते हैं, तो हम सिलिकॉन वैली के मॉडलों को मात दे सकते हैं जो मुख्य रूप से पश्चिमी डेटा पर प्रशिक्षित हैं। यह **नवाचार (innovation)** का वह आयाम है जिस पर कम चर्चा होती है।
गहरा विश्लेषण: कौन जीतता है और कौन हारता है?
इस दौड़ में, जो संस्थान और स्टार्टअप तेजी से प्रोटोटाइप बना रहे हैं, वे विजेता होंगे। हारने वाले वे होंगे जो नौकरशाही की धीमी गति में फंस जाएंगे। **भारत शक्ति** का उद्देश्य इस नौकरशाही को दरकिनार करना है—यह सुनिश्चित करना कि विचार कॉलेज की दीवारों से निकलकर सीधे राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास में निवेश हों।
सबसे बड़ा खतरा बाहरी प्रतिस्पर्धा नहीं है, बल्कि आंतरिक समन्वय की कमी है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) की प्रगति को निजी क्षेत्र की चपलता के साथ जोड़े बिना, हमारे AI मॉडल हमेशा एक कदम पीछे रहेंगे। यह संगोष्ठी केवल ज्ञान साझा करने के बारे में नहीं थी; यह उन पुलों को बनाने के बारे में थी जिन्हें सरकार वर्षों से बनाने की कोशिश कर रही है। क्या वे सफल होंगे? यह देखना बाकी है।
भविष्यवाणी: अगला कदम क्या होगा?
मेरी बोल्ड भविष्यवाणी यह है: अगले 36 महीनों के भीतर, भारत सरकार क्वांटम कंप्यूटिंग हार्डवेयर के लिए एक 'प्रोटेक्शनिस्ट बफर' बनाएगी। हम आयात पर भारी शुल्क लगाएंगे और स्थानीय निर्माताओं को जबरन सब्सिडी देंगे, जैसा कि चीन ने 2000 के दशक में किया था। यह कदम अल्पकालिक रूप से महंगा होगा, लेकिन दीर्घकालिक **तकनीकी आत्मनिर्भरता** के लिए आवश्यक है। AI के मोर्चे पर, हम देखेंगे कि स्थानीय भाषाओं में विशिष्ट, छोटे AI मॉडल (Small Language Models) तेजी से लोकप्रिय होंगे, जो Google या OpenAI के विशाल मॉडलों को ग्रामीण भारत में चुनौती देंगे।
यह केवल प्रौद्योगिकी नहीं है; यह एक राष्ट्रीय चरित्र परीक्षा है। क्या हम नकलची बनकर रहेंगे, या हम **नवाचार (innovation)** के नए नियम लिखेंगे? (अधिक जानकारी के लिए, क्वांटम प्रौद्योगिकी पर अमेरिकी ऊर्जा विभाग की रिपोर्ट देखें - [https://www.energy.gov/](https://www.energy.gov/))।
छवि: सह्याद्री कॉलेज में आयोजित संगोष्ठी का दृश्य। 
निष्कर्ष: TL;DR
यह कार्यक्रम सिर्फ एक सेमिनार नहीं था, बल्कि भारत की तकनीकी संप्रभुता के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी थी।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
भारत शक्ति संगोष्ठी का मुख्य फोकस क्या था?
इसका मुख्य फोकस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और क्वांटम कंप्यूटिंग में भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता और नवाचार क्षमताओं को बढ़ावा देना था।
AI और क्वांटम प्रौद्योगिकी भारत के लिए भू-राजनीतिक रूप से क्यों महत्वपूर्ण हैं?
ये प्रौद्योगिकियां भविष्य की सैन्य शक्ति और आर्थिक वर्चस्व की कुंजी हैं। इन क्षेत्रों में पीछे रहने का मतलब है वैश्विक महाशक्ति की दौड़ में पिछड़ जाना।
भारत की AI रणनीति में 'डेटा लोकतंत्रीकरण' का क्या अर्थ है?
इसका मतलब है कि बड़ी टेक कंपनियों के बजाय, भारत के विशाल और विविध डेटासेट का उपयोग करके स्थानीय समस्याओं के लिए अनुकूलित AI मॉडल विकसित करना, जिससे पश्चिमी मॉडलों पर निर्भरता कम हो सके।
इस कार्यक्रम का सबसे विवादास्पद विश्लेषण क्या हो सकता है?
सबसे विवादास्पद विश्लेषण यह है कि भारत को इन महत्वपूर्ण तकनीकों के लिए अल्पकालिक आर्थिक लागत पर भी कठोर संरक्षणवादी नीतियां (आयात प्रतिबंध) अपनानी पड़ सकती हैं, ठीक वैसे ही जैसे चीन ने किया था।