समाचार पर वापस जाएं

WEF के 2030 के अनुमान: वह सच जो तकनीक की चमक के पीछे छिपा है

WEF के 2030 के अनुमान: वह सच जो तकनीक की चमक के पीछे छिपा है

विश्व आर्थिक मंच के 2030 के भविष्यवाणियों में छिपी भू-अर्थव्यवस्था की दरारें और टेक्नोलॉजी का असली विजेता कौन होगा।

मुख्य बिंदु

  • 2030 में डेटा संप्रभुता डिजिटल साम्राज्यवाद का मुख्य हथियार बनेगी।
  • वैश्विक इंटरनेट के बजाय 'डिजिटल दीवारों' के साथ तकनीकी ब्लॉकों का उदय होगा।
  • असली विजेता वे होंगे जो विभिन्न तकनीकी पारिस्थितिक तंत्रों के बीच डेटा अनुवाद (Interoperability) को नियंत्रित करते हैं।
  • भविष्य में 'स्थानीयकृत तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र' के कारण कोड का डी-ग्लोबलाइजेशन होगा।

गैलरी

WEF के 2030 के अनुमान: वह सच जो तकनीक की चमक के पीछे छिपा है - Image 1
WEF के 2030 के अनुमान: वह सच जो तकनीक की चमक के पीछे छिपा है - Image 2

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

WEF द्वारा सुझाए गए चार भविष्य क्या हैं?

WEF आमतौर पर सहयोग, विखंडन, या विशिष्ट तकनीकी प्रभुत्व पर आधारित विभिन्न संभावित भविष्य परिदृश्यों का वर्णन करता है, जो वर्तमान भू-राजनीतिक और तकनीकी प्रवृत्तियों पर आधारित होते हैं।

भू-अर्थव्यवस्था (Geoeconomics) का टेक्नोलॉजी से क्या संबंध है?

भू-अर्थव्यवस्था व्यापार, निवेश और प्रौद्योगिकी नीतियों का उपयोग करके राष्ट्रीय शक्ति और प्रभाव को बढ़ाने की रणनीति है। टेक्नोलॉजी, विशेषकर AI और डेटा नियंत्रण, अब भू-राजनीतिक शक्ति का प्राथमिक उपकरण बन गई है।

2030 तक डेटा संप्रभुता क्यों महत्वपूर्ण होगी?

डेटा संप्रभुता महत्वपूर्ण होगी क्योंकि राष्ट्र अपने नागरिकों के डेटा और अपने AI मॉडल के प्रशिक्षण डेटा को विदेशी नियंत्रण से बचाना चाहेंगे, जिससे तकनीकी निर्भरता कम हो सके और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।

डिजिटल उपनिवेशवाद (Digital Colonialism) का क्या अर्थ है?

इसका अर्थ है कि विकसित तकनीकी शक्तियां विकासशील देशों के कच्चे डेटा का उपयोग करके उच्च-मूल्य वाले AI समाधान विकसित करती हैं, जिससे विकासशील देश केवल डेटा आपूर्तिकर्ता बनकर रह जाते हैं और आर्थिक लाभ से वंचित रहते हैं।