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होम/भू-राजनीति और पर्यावरणBy Aditya Patel Pari Banerjee

अफ्रीका का जलवायु संकट: कौन कमा रहा है अरबों? अनकहा सच!

अफ्रीका का जलवायु संकट: कौन कमा रहा है अरबों? अनकहा सच!

अफ्रीका का जलवायु परिवर्तन संकट सिर्फ पर्यावरण नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक युद्ध है। जानिए असली विजेता कौन है।

मुख्य बिंदु

  • अफ्रीका जलवायु परिवर्तन का शिकार है, लेकिन पश्चिमी देश कार्बन ऑफसेट के माध्यम से लाभ कमा रहे हैं।
  • जलवायु वित्तपोषण अक्सर ऋण के रूप में आता है, जिससे अफ्रीकी संप्रभुता कमजोर होती है।
  • भविष्य में, अफ्रीका के खनिज संसाधन (लिथियम, कोबाल्ट) वैश्विक शक्तियों के लिए संघर्ष का नया केंद्र बनेंगे।
  • असली खतरा केवल मौसम नहीं, बल्कि जल संसाधनों और महत्वपूर्ण भूमि पर नियंत्रण का भू-राजनीतिक संघर्ष है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में 'ग्रीन उपनिवेशवाद' का क्या अर्थ है?

ग्रीन उपनिवेशवाद का तात्पर्य उन नीतियों से है जहां विकसित देश विकासशील देशों की भूमि और संसाधनों का उपयोग अपने कार्बन उत्सर्जन को संतुलित करने (कार्बन क्रेडिट के माध्यम से) के लिए करते हैं, जिससे स्थानीय समुदायों का विस्थापन और आर्थिक निर्भरता बढ़ती है।

अफ्रीका में जलवायु परिवर्तन का सबसे बड़ा आर्थिक प्रभाव क्या है?

सबसे बड़ा प्रभाव खाद्य और जल सुरक्षा पर है, जिससे कृषि आधारित अर्थव्यवस्थाएं ध्वस्त हो रही हैं और ऊर्जा संसाधनों (जैसे पनबिजली) पर नियंत्रण के लिए क्षेत्रीय तनाव बढ़ रहा है।

अफ्रीकी देश जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए क्या कर सकते हैं?

उन्हें पश्चिमी वित्तपोषण पर निर्भरता कम करनी होगी और अपने महत्वपूर्ण खनिजों (जो हरित क्रांति के लिए आवश्यक हैं) पर संप्रभु नियंत्रण स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित करना होगा, जैसा कि <a href="https://www.nytimes.com/">न्यूयॉर्क टाइम्स</a> जैसे प्रकाशनों में अक्सर विश्लेषण किया जाता है।

कौन से प्रमुख खनिज अफ्रीका के भविष्य को निर्धारित करेंगे?

लिथियम, कोबाल्ट और दुर्लभ पृथ्वी तत्व (Rare Earth Elements) हरित ऊर्जा प्रौद्योगिकियों के लिए महत्वपूर्ण हैं, और इन खनिजों पर नियंत्रण भविष्य की वैश्विक शक्ति को निर्धारित करेगा।