निलकणी का दावा: AI अमीरी बढ़ाएगा, लेकिन असल में कौन बनेगा नया 'अमीर' और कौन होगा 'फुटपाथ' पर?

एन. आर. नारायण मूर्ति के साथी नंदन नीलकर्णी ने AI के धन संकेंद्रण पर चेतावनी दी है। क्या यह सामाजिक न्याय का नया युद्ध है?
मुख्य बिंदु
- •AI का लाभ केवल डेटा और कंप्यूटिंग शक्ति के मालिकों तक सीमित रहेगा, जिससे असमानता बढ़ेगी।
- •यह विस्थापन केवल शारीरिक श्रम का नहीं, बल्कि उच्च-स्तरीय संज्ञानात्मक नौकरियों का भी होगा।
- •भविष्य में 'डिजिटल फ्यूडलिज्म' का खतरा है, जहाँ टेक दिग्गज समाज को नियंत्रित करेंगे।
- •भारत को डेटा संप्रभुता पर तत्काल कठोर नियम बनाने होंगे।
निलकणी का अलार्म: जब तकनीक विरासत को निगल जाए
नंदन नीलकर्णी, इंफोसिस के सह-संस्थापक और भारत के डिजिटल क्रांति के वास्तुकारों में से एक, ने हाल ही में एक ऐसी सच्चाई को उजागर किया है जिसे टेक जगत जोर से चिल्लाना नहीं चाहता: **आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI)** अपरिहार्य रूप से धन का अभूतपूर्व संकेंद्रण करेगा। यह केवल एक भविष्यवाणी नहीं है; यह आर्थिक इतिहास का एक दोहराव है, लेकिन इस बार गति और पैमाना पहले से कहीं अधिक होगा। हम 'सामाजिक मुद्दों' को हल करने की बात करते हैं, लेकिन क्या हम उस मौलिक शक्ति को समझ रहे हैं जो इन समाधानों को डिजाइन करेगी? यह लेख नीलकर्णी के आह्वान का विश्लेषण करता है और उस अनकही कहानी को उजागर करता है जो हर कोई नजरअंदाज कर रहा है: **असली शक्ति संतुलन का बदलाव**।छिपी हुई सच्चाई: 'डेटा-मालिक' बनाम 'उपयोगकर्ता'
नीलकर्णी सही हैं कि AI धन संकेंद्रित करेगा। लेकिन सवाल यह है: **किसका धन?** यह उन लोगों का धन नहीं होगा जो AI का उपयोग करते हैं, बल्कि उन निगमों का होगा जो इसे प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक विशाल डेटासेट और कंप्यूटिंग शक्ति को नियंत्रित करते हैं। यह 'डेटा-मालिकों' और 'एल्गोरिथम-मालिकों' का नया अभिजात वर्ग है। भारत जैसे देश में, जहां डिजिटल साक्षरता और पहुंच अभी भी असमान है, यह खाई और चौड़ी होगी। हम 'डिजिटल इंडिया' की सफलता का जश्न मना सकते हैं, लेकिन AI की सफलता केवल उन 0.1% लोगों के लिए एक 'सफलता' बन जाएगी जिनके पास डेटा का नियंत्रण है। **सामाजिक न्याय** की बात करना आसान है, लेकिन जब एल्गोरिदम ही निर्णय ले रहे हों, तो उन्हें कौन जवाबदेह ठहराएगा?गहन विश्लेषण: AI और श्रम का विस्थापन (The Great Replacement)
तकनीकी प्रगति हमेशा श्रम बाजार को बदलती रही है, लेकिन AI का प्रभाव मौलिक रूप से अलग है। यह केवल शारीरिक श्रम को नहीं, बल्कि संज्ञानात्मक श्रम (Cognitive Labor) को विस्थापित कर रहा है। वकील, कोडर, पत्रकार—हर कोई खतरे में है। नीलकर्णी का जोर सामाजिक मुद्दों को हल करने पर है, लेकिन यदि AI लाखों मध्यम-वर्गीय नौकरियों को खत्म कर देता है, तो क्या सामाजिक सुरक्षा जाल (Social Safety Nets) उस गति का सामना कर पाएंगे? मेरा मानना है कि सरकारें और नियामक इस विस्थापन की भयावहता को कम आंक रहे हैं। **AI का संकेंद्रण** केवल वित्तीय नहीं होगा, यह ज्ञान और निर्णय लेने की शक्ति का संकेंद्रण होगा। जब सरकारें AI का उपयोग करके 'समाधान' लागू करेंगी, तो नागरिकता और स्वायत्तता का क्या होगा? यह इतिहास में सबसे बड़ा सत्ता हस्तांतरण हो सकता है।भविष्य की भविष्यवाणी: 'डिजिटल फ्यूडलिज्म' का उदय
अगले पांच वर्षों में, हम एक ऐसे समाज की ओर बढ़ेंगे जिसे मैं **'डिजिटल फ्यूडलिज्म' (Digital Feudalism)** कहता हूँ। विशाल टेक प्लेटफॉर्म डेटा और AI के माध्यम से समाज के हर पहलू को नियंत्रित करेंगे, जबकि अधिकांश आबादी अप्रत्यक्ष रूप से उनके 'डिजिटल जागीरदार' बन जाएंगे—या तो बुनियादी सार्वभौमिक आय (UBI) पर निर्भर, या कम-वेतन वाली 'मानव सत्यापन' नौकरियों में संलग्न। भारत को इस खतरे से निपटने के लिए 'डेटा संप्रभुता' (Data Sovereignty) पर तत्काल ध्यान केंद्रित करना होगा। यदि हम अपने नागरिकों के डेटा को निजी विदेशी संस्थाओं के हाथ में खेलने देते हैं, तो हम केवल AI को धन संकेंद्रित करने का लाइसेंस दे रहे हैं। **सोशल जस्टिस** के नारे तब तक खोखले रहेंगे जब तक डेटा का स्वामित्व विकेंद्रीकृत नहीं होता।निष्कर्ष: क्या हम सिर्फ दर्शक हैं?
नीलकर्णी की चेतावनी एक वेक-अप कॉल है। हमें केवल AI को 'उपयोग' करने पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए, बल्कि AI के 'शासन' (Governance) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यदि हम आज कड़े नियम नहीं बनाते हैं, तो कल हमारे पास केवल यही विकल्प बचेगा: या तो AI के नियमों का पालन करें, या हाशिए पर चले जाएं। यह एक ऐसी चुनौती है जिसके लिए भारत को अपनी पूरी राजनीतिक और बौद्धिक पूंजी का उपयोग करना होगा।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
नंदन नीलकर्णी के अनुसार AI से सबसे बड़ा खतरा क्या है?
नीलकर्णी के अनुसार सबसे बड़ा खतरा यह है कि AI प्रौद्योगिकी के लाभ और शक्ति कुछ ही हाथों में केंद्रित हो जाएगी, जिससे समाज में आर्थिक असमानता और बढ़ेगी।
AI धन संकेंद्रण को कैसे प्रभावित करेगा?
AI को प्रशिक्षित करने के लिए आवश्यक विशाल डेटा और कंप्यूटिंग संसाधनों पर नियंत्रण रखने वाली कंपनियां भारी मुनाफा कमाएंगी, जबकि श्रम बाजार में विस्थापन से व्यापक आबादी की क्रय शक्ति कम होगी।
भारत को AI के इस खतरे से निपटने के लिए क्या करना चाहिए?
भारत को डेटा संप्रभुता (Data Sovereignty) को प्राथमिकता देनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि AI के विकास और शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही बनी रहे, न कि केवल आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया जाए।
क्या AI वास्तव में नौकरियां खत्म कर देगा?
हाँ, विश्लेषकों का मानना है कि AI संज्ञानात्मक कार्यों (जैसे कोडिंग, कानूनी विश्लेषण) को स्वचालित करके मध्यम-वर्गीय नौकरियों को महत्वपूर्ण रूप से विस्थापित करेगा, जो पिछले तकनीकी क्रांतियों से अलग है।