पुलिस को 'मानसिक स्वास्थ्य' का बोझ: क्या यह संकट सिर्फ स्कॉटलैंड का है या राष्ट्रीय विफलता का संकेत?

पुलिस स्कॉटलैंड की 'अस्थिर' पुकार: जानिए क्यों मानसिक स्वास्थ्य संकट पुलिसिंग पर भारी पड़ रहा है।
मुख्य बिंदु
- •पुलिस पर मानसिक स्वास्थ्य कॉल का बढ़ता बोझ उनकी प्राथमिक भूमिका को खतरे में डाल रहा है।
- •यह संकट स्वास्थ्य सेवा के अपर्याप्त वित्तपोषण और विशेषज्ञ संसाधनों की कमी को उजागर करता है।
- •पुलिस को विशेषज्ञ सहायता के बिना संकट में फंसे लोगों को संभालना पड़ रहा है, जो दोनों पक्षों के लिए हानिकारक है।
- •आगे चलकर, पुलिस इन गैर-आपराधिक हस्तक्षेपों से दूरी बना सकती है, जिससे आपातकालीन देखभाल में देरी होगी।
हुक: वह अनकहा सच जो कोई नहीं बता रहा
जब पुलिस स्कॉटलैंड ने चेतावनी दी कि मानसिक स्वास्थ्य (Mental Health) से जुड़े कॉल-आउट्स अब 'अस्थिर' (unsustainable) हो गए हैं, तो मीडिया ने इसे केवल एक परिचालन समस्या के रूप में पेश किया। लेकिन यह सिर्फ एक पुलिसिंग का संकट नहीं है; यह पश्चिमी समाजों में स्वास्थ्य सेवा के बुनियादी ढांचे की **विनाशकारी विफलता** का स्पष्ट प्रमाण है। असली सवाल यह है: पुलिस को क्यों बनना पड़ रहा है हमारा सबसे पहला और सबसे अक्षम मानसिक स्वास्थ्य फर्स्ट-रेस्पोंडर?
पुलिस बल, जो मूल रूप से कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशिक्षित हैं, अब मानसिक स्वास्थ्य संकटों से जूझ रहे हैं। यह चौंकाने वाला नहीं है कि यह स्थिति 'अस्थिर' है। यह तो होना ही था। **मानसिक स्वास्थ्य संकट** के बढ़ते मामलों को संभालने के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में भारी कटौती और विशेषज्ञ संसाधनों की कमी ने पुलिस को एक ऐसी खाई में धकेल दिया है जिसके लिए वे तैयार नहीं हैं। यह सिर्फ स्कॉटलैंड की समस्या नहीं है; यह यूके और अन्य पश्चिमी देशों में सार्वजनिक सेवा वितरण की एक गहरी, प्रणालीगत विफलता है।
गहन विश्लेषण: कौन जीतता है और कौन हारता है?
इस संकट में सबसे ज्यादा नुकसान आम नागरिक उठा रहे हैं। एक व्यक्ति जिसे तत्काल मनोचिकित्सा सहायता की आवश्यकता है, उसे अक्सर घंटों तक पुलिस हिरासत या एम्बुलेंस की प्रतीक्षा में बिताने पड़ते हैं। पुलिस अधिकारी, जो अपने प्राथमिक कर्तव्य से हटकर संकट प्रबंधन में उलझे हुए हैं, बर्नआउट का शिकार हो रहे हैं।
छिपा हुआ विजेता? कोई नहीं, सिवाय उन निजी स्वास्थ्य प्रदाताओं के जो अंततः इस खाली जगह को भरने के लिए ऊंची कीमतों पर सेवाएं देंगे, या फिर राजनीतिक बयानबाजी करने वाले वे नेता जो जिम्मेदारी लेने से बचते हुए 'आपातकालीन फंडिंग' की घोषणा कर देंगे। हारने वाले स्पष्ट हैं: नागरिक, पुलिस बल, और सबसे महत्वपूर्ण, वे **मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं** जिन्हें दशकों से नजरअंदाज किया गया है। इस स्थिति का सीधा असर कानून व्यवस्था पर पड़ रहा है, क्योंकि वास्तविक अपराधों पर ध्यान कम हो रहा है। यह एक दुष्चक्र है।
पुलिस को 'मानसिक स्वास्थ्य' के मोर्चे पर झोंकना, एक प्रशिक्षित सर्जन से प्लंबिंग करवाने जैसा है। विशेषज्ञता का घोर दुरुपयोग हो रहा है। यह दिखाता है कि **स्वास्थ्य प्रणाली** (Health System) कितनी खोखली हो चुकी है।
भविष्य की भविष्यवाणी: आगे क्या होगा?
मेरी भविष्यवाणी है कि यदि तत्काल बड़े पैमाने पर निवेश नहीं किया गया, तो अगले तीन वर्षों के भीतर, पुलिस बल मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कॉल का जवाब देने से **सक्रिय रूप से पीछे हटना** शुरू कर देंगे, भले ही इससे कानूनी जोखिम उत्पन्न हो। वे मांग करेंगे कि 'डिकमीशनिंग' (कार्यभार सौंपना) के लिए एक सख्त प्रोटोकॉल बने, जहां पुलिस केवल तभी हस्तक्षेप करे जब हिंसा का स्पष्ट खतरा हो। इसके परिणामस्वरूप, कुछ गंभीर मामलों में, जो लोग संकट में हैं, उन्हें आवश्यक सहायता मिलने में और अधिक देरी होगी, जिससे दुखद परिणाम सामने आ सकते हैं। सरकारें अंततः स्वास्थ्य सेवा पर खर्च करने के लिए मजबूर होंगी, लेकिन तब तक जो सामाजिक और मानवीय क्षति हो चुकी होगी, उसकी भरपाई असंभव होगी।
हमें पुलिसिंग पर कम और सामुदायिक **मानसिक स्वास्थ्य सहायता** (Mental Health Support) पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की तत्काल आवश्यकता है। यह केवल फंडिंग की बात नहीं है; यह प्राथमिकता बदलने की बात है।
मुख्य निष्कर्ष (TL;DR)
- पुलिस स्कॉटलैंड की चेतावनी एक प्रणालीगत स्वास्थ्य विफलता का लक्षण है, न कि केवल एक परिचालन समस्या।
- कानून प्रवर्तन को मानसिक स्वास्थ्य फर्स्ट-रेस्पोंडर बनाना अक्षम और खतरनाक है।
- असली नुकसान उन नागरिकों को हो रहा है जिन्हें विशेषज्ञ देखभाल की आवश्यकता है।
- भविष्य में पुलिस इन कॉल्स से पीछे हट सकती है, जिससे संकट और गहराएगा।
गैलरी





अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
पुलिस स्कॉटलैंड ने मानसिक स्वास्थ्य कॉल-आउट्स को 'अस्थिर' क्यों बताया?
उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में मानसिक स्वास्थ्य से संबंधित कॉल पुलिस संसाधनों पर अत्यधिक दबाव डाल रही हैं, जिससे वे वास्तविक अपराधों पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थ हो रहे हैं। यह इंगित करता है कि स्वास्थ्य और सामाजिक देखभाल प्रणालियाँ इन संकटों को संभालने में विफल हो रही हैं।
पुलिस की जगह मानसिक स्वास्थ्य संकटों को किसे संभालना चाहिए?
आदर्श रूप से, इन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षित सामुदायिक संकट प्रतिक्रिया टीमों (Community Crisis Response Teams) या समर्पित स्वास्थ्य पेशेवरों द्वारा संभाला जाना चाहिए, न कि कानून प्रवर्तन अधिकारियों द्वारा। यह विशेषज्ञता सुनिश्चित करता है और पुलिस को उनके मुख्य कार्य पर केंद्रित रखता है।
क्या यह समस्या केवल स्कॉटलैंड तक ही सीमित है?
नहीं। यह यूके और कई अन्य पश्चिमी देशों में एक व्यापक समस्या है, जहां स्वास्थ्य बजट में कटौती के कारण पुलिस अक्सर अंतिम सहारा बन जाती है। यह एक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय नीतिगत विफलता का प्रतीक है।
इस स्थिति का पुलिस अधिकारियों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?
अधिकारियों को ऐसे मामलों से निपटने के लिए प्रशिक्षित नहीं किया जाता है, जिससे तनाव, बर्नआउट और संभावित रूप से गलत निर्णय लेने का खतरा बढ़ जाता है। वे अपनी प्राथमिक भूमिका से विचलित हो जाते हैं।