बुनियादी ढांचे का विकास: पर्यटन का स्वर्ग या सिर्फ़ सरकारी आँकड़ों का खेल? असली विजेता कौन?
क्या इंफ्रास्ट्रक्चर ग्रोथ वाकई पर्यटन को आसमान पर ले जाएगी? जानिए पर्दे के पीछे की सच्चाई और असली आर्थिक दाँव-पेंच।
मुख्य बिंदु
- •बुनियादी ढांचे का विकास बड़े कॉर्पोरेट समूहों को अधिक लाभ पहुंचाएगा, छोटे व्यवसायों को खतरे में डालेगा।
- •कनेक्टिविटी बढ़ने से स्थानीय संस्कृति और आकर्षण का क्षरण हो सकता है, जिससे पर्यटन टिकाऊ नहीं रहेगा।
- •भविष्य में टियर-2 शहरों में अस्थायी उछाल आएगा, जिसके बाद पर्यटक और अधिक दुर्गम स्थानों की ओर जाएंगे।
- •असली सफलता केवल भौतिक कनेक्टिविटी पर नहीं, बल्कि डिजिटल पहुंच और स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण पर निर्भर करती है।
भारत में पर्यटन (Tourism in India) का भविष्य हमेशा से एक आकर्षक कहानी रहा है - भव्य किले, शांत समुद्र तट, और समृद्ध संस्कृति। हाल ही में, पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने दावा किया है कि बुनियादी ढांचे का विकास (Infrastructure Development) इस क्षेत्र का सबसे बड़ा लाभार्थी होगा। लेकिन एक खोजी पत्रकार के तौर पर, हमें सिर्फ सरकारी बयानों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। हमें पूछना होगा: यह विकास किसके लिए है? और क्या यह सिर्फ़ कागज़ पर चमकने वाले आँकड़े हैं या ज़मीनी हकीकत बदलने वाला परिवर्तन?
सतही चमक से परे: कौन जीत रहा है, कौन हार रहा है?
मंत्री का बयान सतह पर तो शानदार लगता है। बेहतर सड़कें, हवाई अड्डे, और कनेक्टिविटी निश्चित रूप से पर्यटकों को आकर्षित करेगी। लेकिन यहाँ वह बात है जो शायद कम ही कही जा रही है: इंफ्रास्ट्रक्चर का लाभ समान रूप से वितरित नहीं होता।
असली विजेता वे बड़े कॉर्पोरेट समूह हैं जो नई सड़कों के किनारे रिसॉर्ट्स और होटलों में भारी निवेश कर रहे हैं। वे सरकारी सब्सिडी और त्वरित मंज़ूरी का फ़ायदा उठाकर प्राइम लोकेशन हथिया रहे हैं। इसके विपरीत, असली हारने वाले छोटे, स्थानीय परिवार-संचालित होमस्टे और पारंपरिक गाइड हैं। जब एक नया, विशाल एक्सप्रेसवे किसी दूरदराज के गाँव को काटता है, तो वह गाँव के स्थानीय व्यवसायों से गुज़रने वाले छोटे यातायात को छीनकर सीधे बड़े हाईवे पर मोड़ देता है। यह 'विकास' अक्सर स्थानीय आजीविका को हाशिये पर धकेल देता है। यह सिर्फ़ पर्यटन को बढ़ावा देना नहीं है; यह एक बड़े पैमाने पर भूमि अधिग्रहण और कॉर्पोरेट एकत्रीकरण (Corporate Consolidation) की कहानी है जिसे पर्यटन के चश्मे से परोसा जा रहा है। वैश्विक आर्थिक रुझान बताते हैं कि बड़े पूंजी निवेश हमेशा स्थानीय लचीलेपन को कम करते हैं।
विश्लेषण: 'कनेक्टिविटी' का दोहरा मतलब
जब हम 'कनेक्टिविटी' की बात करते हैं, तो हमें यह समझना होगा कि यह केवल भौतिक नहीं है। यह डिजिटल और नियामक भी है। क्या छोटे ऑपरेटरों के पास भी उतनी ही आसान पहुंच है जितनी बड़े टूर ऑपरेटरों के पास सरकारी योजनाओं और डिजिटल प्लेटफॉर्म्स तक है? संभावना कम है। पर्यटन मंत्री का बयान एक आदर्श स्थिति प्रस्तुत करता है, जबकि वास्तविकता यह है कि भारत का पर्यटन अभी भी 'असंगठित क्षेत्र' (Unorganized Sector) पर बहुत अधिक निर्भर है।
बुनियादी ढाँचा एक दोधारी तलवार है। यह दुर्गम स्थानों को सुलभ बनाता है, लेकिन साथ ही, यह उन स्थानों के 'अछूते' आकर्षण को भी नष्ट कर देता है। क्या हम केवल भीड़भाड़ वाले पर्यटन स्थलों की एक नई श्रृंखला बना रहे हैं? यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जिस पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। हमें भारत में पर्यटन को टिकाऊ बनाने के लिए स्थानीय संस्कृति के संरक्षण पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, न कि केवल पर्यटकों की संख्या बढ़ाने पर।
भविष्य की भविष्यवाणी: 'टियर-2' पर्यटन का उदय और पतन
आगे क्या होगा? मेरा मानना है कि अगले पाँच वर्षों में, हम टियर-2 और टियर-3 शहरों में पर्यटन का एक बड़ा उछाल देखेंगे, जो नई सड़कों और हवाई कनेक्टिविटी से जुड़े होंगे। लेकिन यह उछाल अल्पकालिक होगा। एक बार जब ये स्थान भी भीड़भाड़ वाले हो जाएंगे और स्थानीय संस्कृति का क्षरण होगा, तो पर्यटक (विशेषकर पश्चिमी यात्री) 'विशिष्टता' की तलाश में और भी अधिक दूरस्थ, अप्रभावित स्थानों की ओर रुख करेंगे। सरकार को इस 'माइग्रेशन पैटर्न' को समझना होगा और उन स्थानों पर भी बुनियादी ढांचा विकास को धीमा करना होगा, ताकि वे बड़े पैमाने पर पर्यटन के जाल में न फंसें। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को केवल बड़े शहरों तक सीमित रखना एक बड़ी रणनीतिक भूल होगी।
अंततः, पर्यटन की सफलता केवल बेहतर सड़कों पर नहीं, बल्कि बेहतर नीति और स्थानीय समुदायों के सशक्तिकरण पर निर्भर करती है। मंत्री का बयान उत्साहजनक है, लेकिन यह केवल आधी कहानी बताता है। असली कहानी ज़मीनी स्तर पर लिखी जाएगी, और वहाँ अभी भी बहुत काम बाकी है।
गैलरी
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
बुनियादी ढांचे का विकास भारतीय पर्यटन को कैसे प्रभावित करेगा?
यह पहुंच बढ़ाएगा, यात्रा के समय को कम करेगा और नए गंतव्यों को खोल सकता है। हालांकि, यह स्थानीय व्यवसायों को बड़े खिलाड़ियों के पक्ष में विस्थापित भी कर सकता है।
पर्यटन मंत्री का मुख्य दावा क्या है?
उनका मुख्य दावा यह है कि देश में हो रहे बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे के विकास (सड़कें, हवाई अड्डे) से पर्यटन क्षेत्र को सबसे अधिक लाभ होगा।
भारत में पर्यटन के सामने सबसे बड़ी अनदेखी की गई चुनौती क्या है?
सबसे बड़ी अनदेखी की गई चुनौती यह है कि इंफ्रास्ट्रक्चर लाभ का असमान वितरण और स्थानीय, पारंपरिक पर्यटन व्यवसायों पर पड़ने वाला नकारात्मक प्रभाव है।
टियर-2 शहरों में पर्यटन का भविष्य कैसा रहेगा?
टियर-2 शहरों में शुरुआती तेजी देखने को मिल सकती है, लेकिन अगर अनियंत्रित विकास हुआ, तो वे भी जल्द ही भीड़भाड़ वाले और कम आकर्षक बन सकते हैं।