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लॉटोक्रेसी का भ्रम: यह 'आम आदमी' को सशक्त नहीं, बल्कि किसे सत्ता सौंपेगा? असली खेल समझिए!

लॉटोक्रेसी का भ्रम: यह 'आम आदमी' को सशक्त नहीं, बल्कि किसे सत्ता सौंपेगा? असली खेल समझिए!

क्या लॉटरी से राजनीति बदल सकती है? जैकोबिन की 'लॉटोक्रेसी' की वकालत के पीछे छिपी सत्ता की राजनीति का विश्लेषण।

मुख्य बिंदु

  • लॉटोक्रेसी जवाबदेही (Accountability) को समाप्त करती है, जिससे प्रतिनिधि पर्दे के पीछे के हितधारकों के प्रति जवाबदेह हो जाते हैं।
  • यह विशेषज्ञता और अनुभव को नजरअंदाज करती है, जिससे जटिल शासन समस्याएं पैदा होंगी।
  • यह प्रणाली अंततः नौकरशाहों और तकनीकी अभिजात वर्ग को अधिक शक्ति प्रदान करेगी, न कि आम जनता को।
  • यह एक आकर्षक लेकिन खतरनाक विचार है जो वर्तमान राजनीतिक चुनौतियों का सही समाधान नहीं है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

लॉटोक्रेसी (Lottocracy) क्या है?

लॉटोक्रेसी एक ऐसी राजनीतिक प्रणाली है जहां सार्वजनिक कार्यालयों के प्रतिनिधियों को चुनावी प्रतिस्पर्धा के बजाय लॉटरी (या सॉर्टिशन) के माध्यम से चुना जाता है।

लॉटोक्रेसी का मुख्य समर्थक क्या तर्क देते हैं?

समर्थक तर्क देते हैं कि यह मौजूदा अभिजात्य-शासित चुनावी राजनीति को तोड़ता है और समाज के सभी वर्गों से यादृच्छिक रूप से लोगों को शामिल करके लोकतंत्र को अधिक प्रतिनिधि बनाता है।

क्या भारत में लॉटरी से राजनीति संभव है?

भारत जैसे विशाल और जटिल देश में, जहां राजनीतिक जागरूकता और शासन की मांग उच्च है, लॉटरी आधारित प्रणाली को लागू करना व्यवहारिक रूप से अत्यंत कठिन और अस्थिरता पैदा करने वाला हो सकता है।

चुनावों की तुलना में लॉटरी से कौन अधिक जीतता है?

विश्लेषण के अनुसार, लॉटरी से चुने गए प्रतिनिधियों पर प्रभाव डालने वाले लॉबिस्ट, विशेषज्ञ सलाहकार और स्थायी नौकरशाही वर्ग अधिक जीतते हैं, क्योंकि प्रतिनिधियों में स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता कम होती है।