लॉटोक्रेसी का भ्रम: यह 'आम आदमी' को सशक्त नहीं, बल्कि किसे सत्ता सौंपेगा? असली खेल समझिए!

क्या लॉटरी से राजनीति बदल सकती है? जैकोबिन की 'लॉटोक्रेसी' की वकालत के पीछे छिपी सत्ता की राजनीति का विश्लेषण।
मुख्य बिंदु
- •लॉटोक्रेसी जवाबदेही (Accountability) को समाप्त करती है, जिससे प्रतिनिधि पर्दे के पीछे के हितधारकों के प्रति जवाबदेह हो जाते हैं।
- •यह विशेषज्ञता और अनुभव को नजरअंदाज करती है, जिससे जटिल शासन समस्याएं पैदा होंगी।
- •यह प्रणाली अंततः नौकरशाहों और तकनीकी अभिजात वर्ग को अधिक शक्ति प्रदान करेगी, न कि आम जनता को।
- •यह एक आकर्षक लेकिन खतरनाक विचार है जो वर्तमान राजनीतिक चुनौतियों का सही समाधान नहीं है।
लॉटरी से लोकतंत्र? आम आदमी की राजनीति का सबसे बड़ा धोखा
हाल ही में, कुछ अकादमिक और वामपंथी हलकों में एक क्रांतिकारी विचार जोर पकड़ रहा है: **लॉटोक्रेसी (Lottocracy)**। यह विचार कहता है कि राजनेताओं को चुनने के लिए चुनाव नहीं, बल्कि लॉटरी का इस्तेमाल होना चाहिए। उनका दावा है कि यह 'साधारण लोगों को सशक्त' करेगा और अभिजात वर्ग के प्रभुत्व को तोड़ेगा। लेकिन रुकिए। यह सिर्फ एक मोहक सपना है। असली सवाल यह है: **लॉटोक्रेसी** वास्तव में किसे सत्ता सौंपेगी? और क्यों यह मौजूदा भ्रष्ट व्यवस्था से भी बदतर हो सकती है?
हमारा विश्लेषण बताता है कि यह 'आम आदमी को सशक्तिकरण' की बात केवल एक **राजनीतिक सुधार** की सतही परत है। असली खेल कहीं गहरा है।
अभिजात वर्ग का नया मुखौटा: लॉटरी का अनकहा सच
चुनाव प्रणाली भले ही दोषपूर्ण हो, लेकिन यह कम से कम जवाबदेही (Accountability) का एक ढांचा प्रदान करती है। मतदाता, चाहे वह कितना भी निराश क्यों न हो, जानता है कि वह किसे वोट दे रहा है। लॉटरी में यह खत्म हो जाता है। लॉटरी द्वारा चुने गए प्रतिनिधि (जिन्हें 'सॉर्टिशन' से चुना जाता है) जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होंगे, क्योंकि उन्हें जनता ने नहीं चुना है। वे किसके प्रति जवाबदेह होंगे? यह वह शून्य है जिसे भरने के लिए पर्दे के पीछे की ताकतें तैयार बैठी हैं। **राजनीतिक सुधार** की आड़ में, हम एक ऐसी व्यवस्था बना रहे हैं जहां वास्तविक नियंत्रण नौकरशाहों, लॉबिस्टों और मीडिया के हाथों में चला जाएगा जो इन अप्रशिक्षित प्रतिनिधियों को 'सलाह' देंगे। यह 'अभिजात्य वर्ग' का एक नया, अधिक अदृश्य रूप होगा।
गहराई से विश्लेषण: विशेषज्ञता बनाम यादृच्छिकता
क्या हम चाहते हैं कि जटिल आर्थिक नीतियां, अंतर्राष्ट्रीय संबंध या जलवायु संकट जैसे मुद्दे ऐसे लोगों द्वारा संभाले जाएं जिन्हें इन मामलों का कोई पूर्व ज्ञान नहीं है? यह एक खतरनाक जुआ है। जबकि हम मानते हैं कि मौजूदा राजनीतिज्ञ अक्सर कॉर्पोरेट हितों के गुलाम होते हैं, कम से कम वे एक प्रणाली के तहत काम करते हैं। लॉटरी प्रणाली ज्ञान और अनुभव की अनदेखी करती है। यह **राजनीतिक व्यवस्था** को अस्थिरता के गहरे गड्ढे में धकेल देगी। यह एक ऐसा प्रयोग है जिसकी कीमत चुकाने के लिए आम जनता तैयार नहीं है। हमें **राजनीतिक व्यवस्था** में सुधार चाहिए, न कि उसका मूलभूत ढांचा ध्वस्त करना।
भविष्य की भविष्यवाणी: अस्थिरता और तकनीकी नियंत्रण
आगे क्या होगा? यदि यह मॉडल कहीं अपनाया जाता है, तो हम देखेंगे कि शुरुआती उत्साह जल्द ही कड़वी निराशा में बदल जाएगा। चूंकि चुने गए प्रतिनिधि नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर पाएंगे, असली शक्ति उन स्थायी सरकारी निकायों (Permanent Bureaucracies) के पास चली जाएगी जो 'तकनीकी विशेषज्ञता' का हवाला देंगे। इसके अलावा, लॉटरी के परिणामों को प्रभावित करने के लिए 'डेटा साइंस' और 'एल्गोरिथम' का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। यह **राजनीतिक सुधार** वास्तव में तकनीकी अभिजात वर्ग के लिए एक सुनहरा अवसर बनेगा, जो यह तय करेगा कि लॉटरी के परिणाम 'सबसे अच्छे' दिखें। यह लोकतंत्र का अंत होगा, न कि उसकी शुरुआत।
निष्कर्ष: विरोध का असली आधार
लॉटोक्रेसी का आकर्षण इसकी सरलता में है, लेकिन इसकी कमजोरी भी यही है। यह सत्ता के हस्तांतरण का वादा करती है, लेकिन वास्तव में, यह सत्ता को उन अदृश्य हाथों में सौंप देती है जिनके पास कोई चुनावी बैकलैश का डर नहीं होता। हमें मौजूदा **राजनीतिक व्यवस्था** में पारदर्शिता और धन के प्रभाव को खत्म करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, न कि पूरी प्रणाली को लॉटरी के हवाले करने पर।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
लॉटोक्रेसी (Lottocracy) क्या है?
लॉटोक्रेसी एक ऐसी राजनीतिक प्रणाली है जहां सार्वजनिक कार्यालयों के प्रतिनिधियों को चुनावी प्रतिस्पर्धा के बजाय लॉटरी (या सॉर्टिशन) के माध्यम से चुना जाता है।
लॉटोक्रेसी का मुख्य समर्थक क्या तर्क देते हैं?
समर्थक तर्क देते हैं कि यह मौजूदा अभिजात्य-शासित चुनावी राजनीति को तोड़ता है और समाज के सभी वर्गों से यादृच्छिक रूप से लोगों को शामिल करके लोकतंत्र को अधिक प्रतिनिधि बनाता है।
क्या भारत में लॉटरी से राजनीति संभव है?
भारत जैसे विशाल और जटिल देश में, जहां राजनीतिक जागरूकता और शासन की मांग उच्च है, लॉटरी आधारित प्रणाली को लागू करना व्यवहारिक रूप से अत्यंत कठिन और अस्थिरता पैदा करने वाला हो सकता है।
चुनावों की तुलना में लॉटरी से कौन अधिक जीतता है?
विश्लेषण के अनुसार, लॉटरी से चुने गए प्रतिनिधियों पर प्रभाव डालने वाले लॉबिस्ट, विशेषज्ञ सलाहकार और स्थायी नौकरशाही वर्ग अधिक जीतते हैं, क्योंकि प्रतिनिधियों में स्वतंत्र निर्णय लेने की क्षमता कम होती है।
