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स्वास्थ्य क्षेत्र का स्याह सच: प्रगति के पीछे छिपी वो कड़वी हकीकत जिसे कोई नहीं बताएगा

स्वास्थ्य क्षेत्र का स्याह सच: प्रगति के पीछे छिपी वो कड़वी हकीकत जिसे कोई नहीं बताएगा

भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रगति और बाधाओं का द्वंद्व जारी है। जानिए पर्दे के पीछे का असली खेल और भविष्य की दिशा।

मुख्य बिंदु

  • सार्वजनिक स्वास्थ्य पर GDP खर्च अपर्याप्त है, जिससे निजीकरण को बढ़ावा मिल रहा है।
  • प्रगति के बावजूद, ग्रामीण-शहरी स्वास्थ्य असमानता और PHC स्टाफ की कमी गंभीर बनी हुई है।
  • भविष्य में स्वास्थ्य सेवा का एक कठोर 'डबल-टियर' सिस्टम स्थापित होने की प्रबल संभावना है।
  • नीतियों का फोकस उपचार पर है, रोकथाम पर नहीं, जो आर्थिक रूप से अस्थिर है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में सबसे बड़ी अनदेखी क्या है?

सबसे बड़ी अनदेखी रोकथाम (Prevention) पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय केवल उपचार (Cure) पर भारी निवेश करना है, जिससे दीर्घकालिक स्वास्थ्य लागतें बढ़ती जा रही हैं।

आयुष्मान भारत योजना का छिपी हुई चुनौती क्या है?

चुनौती यह है कि यह योजना बड़े अस्पतालों पर बोझ बढ़ाती है और प्राथमिक देखभाल (Primary Care) को मजबूत करने में विफल रही है, जिससे जमीनी स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार धीमा है।

भारत को स्वास्थ्य सेवा में सुधार के लिए क्या करना चाहिए?

भारत को स्वास्थ्य पर GDP खर्च को बढ़ाकर 3% तक करना होगा और कठोर कानूनों के माध्यम से सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, विशेष रूप से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, में तुरंत सुधार करना होगा।

स्वास्थ्य क्षेत्र में 'प्रगति' से किसे सबसे ज्यादा फायदा हो रहा है?

बड़ी कॉर्पोरेट अस्पताल श्रृंखलाएं और फार्मास्युटिकल कंपनियां सरकारी योजनाओं और बढ़ते निजी खर्च से सबसे अधिक लाभान्वित हो रही हैं।