समाचार पर वापस जाएं
होम/पाक विश्लेषण और रुझानBy Arjun Mehta Ananya Joshi

हनुक्का के तले हुए व्यंजनों का छिपा हुआ सच: कौन कमा रहा है और क्यों सिर्फ तेल बर्बाद हो रहा है?

हनुक्का के तले हुए व्यंजनों का छिपा हुआ सच: कौन कमा रहा है और क्यों सिर्फ तेल बर्बाद हो रहा है?

हनुक्का में तले हुए व्यंजनों (Fried Jewish Recipes) की परंपरा का गहरा सांस्कृतिक अर्थ है, लेकिन इसके पीछे का आर्थिक और सांस्कृतिक खेल क्या है?

मुख्य बिंदु

  • हनुक्का के तले हुए व्यंजनों की परंपरा अब उपभोग और खाद्य उद्योग के लिए एक आर्थिक चालक बन गई है।
  • आधुनिकता में, परंपरा के मूल अर्थ (चमत्कार) के बजाय व्यंजनों की 'अधिकता' पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
  • भविष्य में, एयर फ्रायर तकनीक हनुक्का व्यंजनों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक तरीके से पुनर्जीवित कर सकती है।
  • असली सबक यह जानना है कि आप परंपरा का सम्मान कर रहे हैं या केवल मौसमी पाक प्रदर्शन का हिस्सा बन रहे हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

हनुक्का के दौरान तले हुए व्यंजन क्यों खाए जाते हैं?

तले हुए व्यंजनों, विशेष रूप से लटकस (आलू पैनकेक), को तेल के चमत्कार की याद में खाया जाता है, जब यरूशलेम के मंदिर में एक दिन का तेल आठ दिनों तक जला था।

क्या सभी यहूदी हनुक्का में सिर्फ लटकस ही खाते हैं?

नहीं। लटकस लोकप्रिय हैं, लेकिन सूफगानियोट (जेली डोनट्स) भी बहुत आम हैं। वास्तव में, 31 से अधिक विभिन्न प्रकार के तले हुए व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें विभिन्न प्रकार के मीठे और नमकीन व्यंजन शामिल हैं।

क्या तले हुए व्यंजनों की परंपरा का कोई नकारात्मक पहलू है?

आलोचकों का तर्क है कि अत्यधिक तेल का उपयोग ऐतिहासिक रूप से गरीबी के खिलाफ एक बयान था, लेकिन आज यह अनावश्यक रूप से उच्च कैलोरी और वसा का सेवन बढ़ावा देता है, जो आधुनिक स्वास्थ्य चिंताओं के विपरीत है।

हनुक्का व्यंजनों में तेल का उपयोग करने का सांस्कृतिक महत्व क्या है?

तेल का उपयोग तेल की कमी पर मिली जीत और ईश्वर के हस्तक्षेप का प्रतीक है। यह अंधकार पर प्रकाश की जीत का भी प्रतीक है, खासकर जब तेल के दीपक जलाए जाते हैं।