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सुप्रीम कोर्ट का वो फैसला जो राष्ट्रपति को बना देगा 'असीमित'? अनदेखी सच्चाई!

सुप्रीम कोर्ट का वो फैसला जो राष्ट्रपति को बना देगा 'असीमित'? अनदेखी सच्चाई!

क्या सुप्रीम कोर्ट 'राष्ट्रपति की शक्ति' को अभूतपूर्व रूप से बढ़ाने जा रहा है? यह केवल राजनीति नहीं, सत्ता का पुनर्गठन है।

मुख्य बिंदु

  • सुप्रीम कोर्ट का फैसला कार्यकारी शक्ति को अभूतपूर्व रूप से बढ़ा सकता है।
  • यह निर्णय भारत के संघीय ढांचे के लिए गंभीर खतरा पैदा करता है।
  • विश्लेषण बताता है कि यह दक्षता के नाम पर लोकतांत्रिक नियंत्रण को कमजोर करेगा।
  • भविष्य में, यह बढ़ी हुई शक्ति सरकारों द्वारा आसानी से दुरुपयोग की जा सकती है।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

यह मामला राष्ट्रपति की शक्तियों को कैसे प्रभावित करेगा?

यदि कोर्ट कार्यकारी शाखा के पक्ष में फैसला सुनाता है, तो राष्ट्रपति (और प्रभावी रूप से केंद्र सरकार) आपातकालीन स्थितियों में अधिक स्वायत्तता और कम न्यायिक जांच के साथ कार्य कर सकेगा।

इस निर्णय का आम नागरिक पर क्या असर पड़ेगा?

सीधा असर नागरिक स्वतंत्रता और राज्यों के अधिकारों पर पड़ेगा। अधिक केंद्रीकृत शक्ति का अर्थ है स्थानीय या राज्य स्तर पर विरोध की आवाज़ों का कमजोर होना।

क्या यह अमेरिकी या अन्य देशों की प्रणाली से अलग है?

हाँ, भारत में शक्तियों का संतुलन अलग है, लेकिन किसी भी लोकतंत्र में कार्यपालिका का अत्यधिक सशक्तिकरण हमेशा चिंता का विषय रहा है। यह मामला भारतीय संविधान के मूल ढांचे पर सवाल उठाता है।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से क्या उम्मीद की जानी चाहिए?

चूंकि मामला अत्यंत संवेदनशील है, कोर्ट संभवतः शक्तियों को पूरी तरह से विस्तारित करने से बचेगा, लेकिन वे ऐसी व्याख्याएं दे सकते हैं जो भविष्य में कार्यपालिका को मजबूत करें।