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दो लाख स्टार्टअप्स: भारत का 'इंद्रजाल' या सिर्फ कागज़ी घोड़ा? असली विजेता कौन है?

दो लाख स्टार्टअप्स: भारत का 'इंद्रजाल' या सिर्फ कागज़ी घोड़ा? असली विजेता कौन है?

भारत में 2 लाख मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स का आंकड़ा क्या वास्तव में क्रांति है? विश्लेषण कहता है कि यह सिर्फ सरकारी आंकड़ों का खेल है, असली 'स्टार्टअप इंडिया' कहां है?

मुख्य बिंदु

  • 2 लाख मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स का आंकड़ा मुख्य रूप से सरकारी प्रोत्साहन प्राप्त करने पर केंद्रित है, न कि वास्तविक उत्पाद नवाचार पर।
  • असली खतरा यह है कि कई कंपनियाँ राजस्व मॉडल के बजाय टैक्स लाभ के लिए बनी हैं, जिससे फंडिंग रुकने पर बड़े पैमाने पर विफलता संभव है।
  • भविष्य में, बाजार 'गुणवत्ता बनाम मात्रा' के सिद्धांत पर काम करेगा, जिससे अधिकांश कमजोर स्टार्टअप्स बाजार से बाहर हो जाएंगे (महान समेकन)।
  • भारत को अभी भी डीप टेक और विनिर्माण नवाचार में वैश्विक मानकों तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी तय करनी है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

भारत में 'मान्यता प्राप्त स्टार्टअप' होने का क्या मतलब है?

भारत सरकार के तहत DPIIT (उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग) द्वारा मान्यता प्राप्त होने का मतलब है कि कंपनी कुछ विशिष्ट मानदंडों को पूरा करती है, जिससे उसे कर में छूट और सरकारी योजनाओं तक पहुंच जैसे लाभ मिलते हैं।

क्या सभी 2 लाख स्टार्टअप सफल हैं?

बिल्कुल नहीं। अधिकांश विशेषज्ञ मानते हैं कि केवल एक छोटा प्रतिशत ही वास्तव में स्केलेबल और टिकाऊ व्यवसाय मॉडल वाला है। कई मान्यताएं केवल अल्पकालिक लाभ के लिए ली गई हैं।

भारत की स्टार्टअप फंडिंग स्थिति कैसी है?

फंडिंग में पिछले दो वर्षों में मंदी आई है। निवेशक अब केवल विकास (Growth) पर नहीं, बल्कि लाभप्रदता (Profitability) और मजबूत यूनिट इकोनॉमिक्स पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, जिससे शुरुआती चरण के स्टार्टअप्स के लिए मुश्किलें बढ़ी हैं।

भारत में सबसे अधिक स्टार्टअप किस क्षेत्र में हैं?

वर्तमान में, फिनटेक (FinTech), ई-कॉमर्स, शिक्षा प्रौद्योगिकी (EdTech), और स्वास्थ्य सेवा (HealthTech) जैसे उपभोक्ता-केंद्रित क्षेत्रों में स्टार्टअप्स की संख्या सबसे अधिक है।